नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान ने मंगलवार को द्विपक्षीय बातचीत में साफ-साफ शब्दों में कुछ जटिल मुद्दे उठाए। इस बातचीत में भारत ने पड़ोसी देश से दो टूक कहा कि वह द्विपक्षीय रिश्तों पर आतंकवाद के असर की अनदेखी न करे, जबकि पाकिस्तान ने कश्मीर को ‘प्रमुख मुद्दा’ करार दिया।

भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ऐजाज अहमद चौधरी के बीच करीब 90 मिनट तक चली बातचीत के दौरान पठानकोट आतंकवादी हमला, 26.11 मामले के मुकदमे और समझौता एक्सप्रेस धमाकों की जांच जैसे जटिल मुद्दों पर चर्चा हुई।

जयशंकर और चौधरी के बीच आज की मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तानी विदेश सचिव खासकर ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में शिरकत के लिए यहां आए हैं। जनवरी में पठानकोट आतंकवादी हमले के बाद दोनों विदेशों सचिवों की निर्धारित वार्ता टाल दी गई थी। इस घटना के बाद यह उनकी पहली औपचारिक मुलाकात है।

मुलाकात के दौरान भारत ने पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के ‘अपहरण’ का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उन्हें पाकिस्तान ले जाया गया है। भारत ने जाधव के लिए तुरंत दूतावास संबंधी संपर्क उपलब्ध कराने की मांग भी की। ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत ने साफ तौर पर कहा है कि जाधव को अगवा किया गया।

बहरहाल, अपने बयान में पाकिस्तान ने जाधव की ‘गिरफ्तारी’ का मुद्दा उठाया और बलूचिस्तान एवं कराची में विध्वंसक गतिविधियों में भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड अनालिसिस विंग (रॉ) की कथित संलिप्तता पर गंभीर चिंता जताई। भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया। बातचीत के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया, ‘भारत के विदेश सचिव ने पठानकोट आतंकवादी हमले की जांच के साथ-साथ पाकिस्तान में मुंबई हमले की सुनवाई में जल्द एवं नजर आने वाली प्रगति की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने यूएन की 1267 प्रतिबंध समिति में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को सूचीबद्ध करने का भी मुद्दा उठाया।’

बयान के मुताबिक, ‘विदेश सचिव जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान द्विपक्षीय रिश्तों पर आतंकवाद के प्रभाव को लेकर इनकार की हालत में नहीं रह सकता। भारत को निशाना बनाने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों को यूं ही खुलकर काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।’ अपनी ओर से पाकिस्तान ने बयान जारी कर कहा कि चौधरी ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए जोर देकर कहा कि यह ‘प्रमुख मुद्दा है जिसका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की भावनाओं के अनुरूप उचित समाधान निकाले जाने की आवश्यकता है।’

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तानी पक्ष ने बातचीत के बिंदु तभी जारी कर दिए जब दोनों विदेश सचिवों के बीच बातचीत चल ही रही थी।