ग्वालियर। खनन माफिया शासन पर कितना भारी है, इसका अंदाजा एक प्राथमिक स्कूल के स्थान बदलने से लगाया जा सकता है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने बिलौआ स्थित प्राथमिक विद्यालय कल्याणपुरा के विद्यार्थियों को गिट्टी क्रेशरों की धूल से बचाने के लिए स्कूल 500 मीटर दूर बनाने का आदेश दिया था, लेकिन माफिया के दवाब में राज्य शिक्षा केन्द्र ने स्कूल को बच्चों की पहुंच से ही दूर कर दिया गया।

गांव से स्कूल को 1.5 किलो मीटर दूर कर दिया है, जिससे डेढ़ साल में 120 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है। वर्तमान में 3 से 4 बच्चे स्कूल में आ रहे हैं। बिलौआ स्थिति खादानों के बीच शासकीय प्राथमिक विद्यालय कल्याणपुरा बना हुआ था। इस स्कूल में कल्याणपुरा व नकरापाठा के करीब 125 बच्चे पढ़ने आते थे।

क्रेशरों से हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए रहवासियों ने एनजीटी में पिटीशन दायर की थी, जिस पर एनजीटी ने स्कूल शिफ्ट करने के निर्देश दिए थे। स्कूल दूर बनने पर ग्रामीण फिर एनजीटी पहुंचे। एनजीटी ने खनिज अधिकारी से दूरी नपवाई तो पाया कि स्कूल लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर बना हुआ है।

इनका कहना है: जब स्कूल को अधिक दूर बनाया जा रहा था, तब ग्रीमीणों ने आपत्ति दर्ज कराई थी,

लेकिन किसी ने नहीं सुनी। स्कूल दूर होने की वजह से बच्चों ने आना ही बंद कर दिया है। इससे उनके भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। - जगदीश शर्मा, वार्ड 10 पार्षद, नगर पंचायत बिलौया

कोर्ट का मामला है। स्कूल की नाप कर ली है। स्कूल 500 मीटर से अधिक दूरी पर बना है। रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी जाएगी। - मनीष पालीवाल, सहायक, खनिज अधिकारी

ग्रामीणों की मांग है कि स्कूल को पुराने भवन में लगाया जाए जो संभव नहीं है। -विकास जोशी, जिला शिक्षा, अधिकार

इसलिए छोड़ा बच्चों ने स्कूल

- स्कूल प्राइमरी है। इसमें 5 से 9 साल के बच्चे पढ़ने जाते थे, लेकिन स्कूल तक जाने का रास्ता कच्चा है, जिससे उन्हें आने जाने में दिक्कत हो रही थी। स्कूल आने-जाने के लिए 3 किमी पैदल चलना पड़ रहा था।

- स्कूल व कल्याणपुरा, नकरा पाठा के बीच एक बरसाती नाला पड़ता है। बारिश के वक्त इसमें तेज बहाव के साथ पानी बहता है, जिससे चार महीने बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।

- स्कूल अधिक दूर होने की वजह से लोगों को अपने बच्चे पैदल भेजने में डर लग रहा है।

- कल्याणपुरा व नकरापाठा नगर पंचायत बिलौआ के अतंर्गत आता है। खनिज अधिकारी के निरीक्षण के दौरान स्कूल में 4 बच्चे ही स्कूल में बैठे थे।