दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर और देशद्रोह के आरोपी एसएआर गिलानी को पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिल गई है. कोर्ट ने उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. इसके पहले शनिवार सुबह कोर्ट ने जमानत पर अपना फैसला दोपहर दो बजे तक सुरक्षित रख लिया था.

जमानत याचिका का पुलिस ने किया विरोध
आरोप के मुताबिक नई दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित कर गिलानी ने देशविरोधी नारेबाजी की थी . सुनवाई के दौरान गिलानी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए पुलिस ने उनके विवादित कार्यक्रम को भारत की आत्मा पर हमला और अदालत की अवमानना बताया था. पुलिस ने कहा कि कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन गिलानी अफजल गुरु और मकबूल भट का महिमामंडन कर रहे थे. उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराया था. वह लोग उन्हें शहीद बता रहे थे जिसका लोगों पर असर पड़ता है. यह अदालत की अवमानना है. पुलिस ने कहा कि अगर उन्हें फैसला पसंद नहीं था तो उन्हें यह बात अपने दिमाग और अपने घर में ही रखनी चाहिए थी.

नारेबाजी के बाद प्रेस क्लब से निकाले गए थे लोग
जिरह के दौरान गिलानी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि उन्होंने कथित भारत विरोधी नारे लगाए थे. वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करना अदालत की अवमानना नहीं है. वकील ने जमानत के लिए आग्रह करते हुए दावा किया कि प्राथमिकी में ही कहा गया है कि नारे लगा रहे लोगों को प्रेस क्लब के पदाधिकारियों ने रोका. उनकी ओर से चले जाने के लिए कहने पर लोग सहमत हो गए थे.

सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश
इससे पहले, 19 फरवरी को दिल्ली के एक कोर्ट ने गिलानी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. 16 फरवरी को गिरफ्तार किए गए गिलानी पर पुलिस ने आरोप लगाया था कि सरकार के खिलाफ नफरत पैदा किया जा रहा है. इससे पहले पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि 10 फरवरी को एक समारोह आयोजित किया गया था. इसमें अफजल गुरु और मकबूल भट्ट को शहीदों के रूप में दर्शाने वाले बैनर लगाए गए थे.

अफजल गुरु और मकबूल भट्ट की तारीफ में नारे
पुलिस ने कहा था कि गिलानी ने प्रेस क्लब में हॉल की बुकिंग अली जावेद नामक शख्स के माध्यम से उसके क्रेडिट कार्ड से करवाई थी. एक अन्य शख्स मुद्दस्सर भी इसमें शामिल था. प्रेस क्लब के समारोह में एक समूह ने कथित तौर पर अफजल गुरु की तारीफ में नारे लगाए थे. इसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह), 120बी (आपराधिक साजिश) और 149 (अवैध रूप से एकत्र होना) के तहत गिलानी और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

पुलिस ने लिया था स्वतः संज्ञान
पुलिस ने दावा किया था कि उसने मीडिया में आई इस घटना की खबरों पर स्वत:संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की. प्राथमिकी दर्ज करने के बाद पुलिस ने डीयू के प्रोफेसर अली जावेद से दो दिन तक पूछताछ की थी. जावेद प्रेस क्लब के सदस्य हैं. उन्होने ही इस आयोजन के लिए हॉल बुक करवाया था.

संसद हमले के आरोप में जेल जा चुके हैं गिलानी
गिलानी को साल 2001 में संसद पर हुए हमले के सिलसिले में भी गिरफ्तार किया गया था. बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में अक्तूबर 2003 में उन्हें बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2005 में इस फैसले को बरकरार रखा था.