नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने गुरुवार को श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग को जुर्माना भरने के लिए एक और दिन का समय दे दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, गुरुवार शाम तक राशि‍ जमा नहीं करने पर ट्रिब्यूनल ने सख्त शब्दों में कहा कि अगर शुक्रवार तक जुर्माना नहीं भरा जाता है और धोखा दिया जाता है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. गौरतलब है कि एनजीटी ने इससे पहले श्रीश्री को गुरुवार शाम 4 बजे तक 5 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करने को कहा था. सुनवाई के दौरान डीडीए ने कहा कि उसे अभी तक जुर्माने की रकम नहीं मिली है. दूसरी ओर, खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार शाम कार्यक्रम में शि‍रकत करेंगे. यह कल्चर फेस्ट तीन दिनों तक चलेगा.

एनजीटी ने डीडीए के वकील को बुलाकर पूछा कि क्या आर्ट ऑफ लिविंग पर लगाया गया 5 करोड़ का जुर्माना डीडीए को मिल गया है? NGT ने साफ कर दिया है अगर 4 बजे तक पैसा जमा नहीं करवाया गया तो डीडीए कार्यक्रम के लिए दी गई इजाजत वापस ले सकता है.

फैसले के खिलाफ अपील करेंगे श्री श्री
श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि वो 3 लोगों की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेंगे, जो मौके पर सिर्फ आधे घंटे के लिए गए थे. आध्यात्मिक गुरू ने कहा कि उन्हें ये बताना चाहिए कि वहां क्या नुकसान हुआ है. श्रीश्री ने एनजीटी के फैसले पर असंतोष जताया. उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि अपील करने के लिए उनके पास उचित आधार भी हैं.

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर करोड़ों को जुर्माना
एनजीटी ने आध्यात्मिक गुरू और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर का वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को तय समय पर कराने की इजाजत दे दी थी. दो दिन की सुनवाई के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कार्यक्रम की अनुमति देने को राजी हुआ था. हालांकि ट्रिब्यूनल ने यमुना के बाढ़ क्षेत्र में होने वाले पारिस्थितिकी नुकसान के लिए फाउंडेशन पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

याचिका पर सुनवाई से इनकार
शुक्रवार से शुरू होने जा रहे इस कार्यक्रम के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. किसान संघ ने इस मामले में याचिका दायर की थी. संघ का कहना था कि इस कार्यक्रम की वजह से यमुना में बाढ़ वाले क्षेत्र के पारिस्थितिक अस्तित्व को नुकसान पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को एनजीटी के सामने ले जाना चाहिए.