नई दिल्ली: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला के परिजनों और मित्रों ने शुक्रवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर जमकर निशाना साधा। उन्‍होंने दो टूक लहजे में कहा कि संसद में स्मृति ईरानी ने रोहित के खुदकुशी से जुड़े मामले में संसद में जो भी कहा गया, वह पूरी तरह से झूठ है।

बता दें कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला ने पिछले महीने आत्महत्या कर ली थी और एक दलित छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर देशभर में खूब बवाल हुआ था।

रोहित की मां राधिका वेमुला ने दिल्‍ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'स्मृति ईरानी जी, यह सीरियल नहीं है, रियल लाइफ है। तथ्‍य सामने लाइए, उन्‍हें तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश मत कीजिए।'

गौरतलब है कि स्मृति ईरानी ने बुधवार को लोकसभा में बहस में हिस्‍सा लेते हुए कहा था, 'इस बच्‍चे और उसके शव को लेकर राजनीति की गई। किसी ने उसके पास डॉक्टर को नहीं जाने दिया। पुलिस ने कहा ...उस बच्‍चे को बचान का एक भी प्रयास नहीं किया था। उसे डॉक्‍टर के पास ले जाने का प्रयास नहीं किया। इसके बजाय उसके शव का सियासी मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया गया। पुलिस को अगले दिन सुबह 6:30 बजे तक उसके पास नहीं जाने दिया गया। मैं नहीं, तेलंगाना पुलिस यह कह रही है।'

रोहित के भाई राजा ने कहा, 'यह सब झूठ है। इसका उद्देश्य ऐसे मु्द्दे से लोगों का ध्यान भटकाना है जो बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है।'

वेमुला के परिवार और उनके दोस्तों द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेस की खास बातें

    रोहित वेमुला सहित तीन छात्रों को यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था।
    यह प्रेस कॉन्फ्रेंस स्मृति ईरानी द्वारा संसद में बोले गए झूठ का पर्दाफाश करने के लिए बुलाई गई।
    जिस दिन रोहित की मौत हुई, उस दिन किसी भी पुलिसकर्मी और डॉक्टर को उस कमरे में नहीं जाने दिया गया। रोहित को पुनर्जीवित करने की कोशिश नहीं की गई। जान-बूझकर यह झूठ फैला कर मुद्दे को भटकाने की कोशिश की जा रही है, क्योंकि इससे बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है।
    यूनिवर्सिटी की डॉक्टर ने शाम सात बजे रोहित को मृत घोषित किया था।
    यूनिवर्सिटी की डॉक्टर ने गुरुवार 25 फरवरी को सामने आकर इस बारे में बयान भी दिया था।
    उन्होंने बताया कि जब तक वह पहुंची, रोहित की मौत हो चुकी थी।
    सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि जिस कमरे में रोहित ने आत्महत्या की वहां एक तरफ मृत देह रखी हुई थी और पुलिस भी वहीं मौजूद थी।
    कहा गया कि प्रोक्टोरियल बोर्ड की जांच में दलित वर्ग से भी लोग मौजूद थे, लेकिन ये सच्चाई नहीं है। निर्णय एग्जक्यूटिव काउंसिल में लिया गया, जहां कोई दलित प्रतिनिधि नहीं है।
    27 नवंबर को हुई मीटिंग के मिनट्स : वाइस चांसलर और चेयरमैन अप्पाराव को मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने नियुक्त किया।
    उन 11 सदस्यों में से कोई भी अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य नहीं था।
    पेज नंबर 4, निर्णय-5 : इसमें साफ किया गया है कि मानव संसाधन मंत्रालय की पहल पर निर्णय लिया गया कि छात्रों को न तो हॉस्टल में रहने दिया जाएगा और न ही छात्र चुनाव में भाग ले सकते हैं।
    स्मृति ईरानी सफेद झूठ बोल रही हैं।
    पुलिस कमिश्नर ने साफ कहा है कि वहां किसी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई थी।
    रोहित की जाति के मामले में स्मृति और गहलोत ने एसीपी की रिपोर्ट को माना, जो किसी की जाति के बारे में जांच करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
    रोहित की मां अनुसूचित जाति की हैं और रोहित की दादी, जिन्होंने उनकी मां को गोद लिया था वह भी अनुसूचित जाति से संबंधित हैं।
    जाति प्रमाण पत्र से साबित होता है कि वह दलित था।
    ये सब झूठ स्मृति ईरानी ने सिर्फ इसलिए बोले हैं ताकि बीजेपी और उनके अधिकारियों की ओर से ध्यान भटकाया जा सके।