नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने सोमवार को कहा कि दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री व डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली को क्लीन चिट देने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि अभी तो डीडीसीए मामले की जांच ही शुरू नहीं हुई है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों को बताया कि डीडीसीए जांच में किसी को क्लीन चिट नहीं दी गई है। अभी तो जांच शुरू होना है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को डीडीसीए मामले की जांच के लिए गठित दिल्ली सरकार की जांच समिति के एक रिपोर्ट का संदर्भ देते हुए कहा था कि उसमें जेटली का नाम तक नहीं है। उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के गंभीर एवं व्यापक आरोपों से घिरी डीडीसीए में जेटली 1999-2013 तक अध्यक्ष रहे हैं।

भाजपा ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को डीडीसीए घोटाले में लगाए गए अरोपों के लिए जेटली से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि रिपोर्ट में उनके खिलाफ कुछ नहीं पाया गया है। भाजपा की माफी की मांग को खारिज करते हुए सिसोदिया ने डीडीसीए की कार्यशैली में वित्तीय अनियमितता और कार्यों के लिए टेंडर देने पर सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि डीडीसीए के निर्वाचन आयोग, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) और फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने डीडीसीए में करोड़ों रुपये के घोटाले पाए हैं। फर्जी कंपनियां बनाई गईं और उन्हें टेंडर जारी किए गए और उन कार्यों के भी लिए भुगतान किया गया, जो पहले ही हो चुके थे।

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि निजी क्रिकेट अकादमियां डीडीसीए के तहत संचालित हो रही हैं। स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों के डीडीसीए के लीग मैचों में खेलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि डीडीसीए भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। सिसोदिया ने कहा कि डीडीसीए के चुनाव और स्टेडियमों के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है, फर्जी मतदान किया गया है और वित्तीय अनियमितताओं के मामले भी हैं।

सिसोदिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित पूर्व महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के नेतृत्व में जांच अभी शुरू होनी है और जेटली को कई सवालों के जवाब देने हैं।