मध्यप्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की आयोजित प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़े के जुर्म में जिला अदालत ने राजस्थान के एक स्कोरर समेत दो लोगों को 3-3 साल के सश्रम कारावास और 500-500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. यह व्यापम घोटाले में जिला अदालत का सुनाया पहला फैसला है.

विशेष अपर सत्र न्यायाधीश डीके मित्तल ने मामले में राजस्थान के भीलवाड़ा निवासी अक्षत सिंह राजावत (25) और मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के रहने वाले प्रकाश बारिया (28) को भारतीय दंड विधान की धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 468 (छल की नीयत से जाली दस्तावेज बनाना) और मध्यप्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम के तहत दोषी करार देते हुए सजा सुनाई.

11 गवाह हुए पेश
अतिरिक्त लोक अभियोजक प्रभुलाल मालवीय ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों पर जुर्म साबित करने के लिये अदालत के सामने 11 गवाह पेश किये गये थे. उन्होंने बताया कि पशुपालन के डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये व्यापम ने प्रदेश भर में 19 मई 2013 को परीक्षा आयोजित की थी. इस सिलसिले में इंदौर के एक सरकारी स्कूल में बनाये गये परीक्षा केंद्र में बारिया ने अपनी जगह राजावत को बतौर उम्मीदवार बैठाया था.

मालवीय ने बताया कि प्रवेश परीक्षा के दौरान पर्यवेक्षक ने जब अपने पास मौजूद रिकॉर्ड के आधार पर देखा कि प्रवेश पत्र पर बारिया की जगह किसी दूसरे व्यक्ति की तस्वीर लगी है, तो उसे शक हुआ. जब राजावत से सख्ती से पूछताछ की गयी, तो उसने कबूल किया कि वह बारिया की जगह फर्जी तौर पर प्रवेश परीक्षा में शामिल हो रहा था. उन्होंने बताया कि इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद बारिया और सिंह के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया गया था.