भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने आज इस बात पर जोर दिया कि वित्त मंत्री अरुण जेटली भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने का नतीजा भुगत रहे हैं और पार्टी को सलाह दी कि कभी कभी उसे अपने सहयोगी दल की भी बात जरूर सुन लेनी चाहिए, जिसने उस वक्त आप नेता को किसी भी तरह के समर्थन का विरोध किया था।

शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, हमें याद है तब अन्ना हजारे और केजरीवाल कंपनी रामलीला मैदान :दिल्ली: में कांग्रेस सरकार के खिलाफ हंगामा खड़ा कर रही थी। उस वक्त केजरीवाल कांग्रेस नेतत्व के खिलाफ अनाप शनाप बोलने के लिए तारीफें बटोर रहे थे। राजनीतिक पार्टियों में केजरीवाल की मवालीगीरी को समर्थन देने के लिए खींचतान मची थी।

शिवसेना ने दावा किया कि इस खींचतान में तब भाजपा आगे चल रही थी और अन्य लोगों के साथ जेटली ने भी शिवसेना को केजरीवाल का समर्थन करने को कहा था। लेकिन, तब हमने ऐसा नहीं किया।

शिवसेना ने कहा, हमलोगों ने तब केजरीवाल का समर्थन नहीं किया। हमने तब विनम्रतापूर्वक भाजपा को सलाह दी कि वह केजरीवाल की इस तरह की पैशाचिक वत्तियों का समर्थन नहीं करे अन्यथा कल को इसका उल्टा असर पड़ेगा। जेटली को अब इसका एहसास हो रहा है। अन्ना हजारे केजरीवाल के साथ नहीं हैं और वह :केजरीवाल: जेटली को चुनौती दे रहे हैं। इस पूरे प्रकरण से सबक यही मिलता है कि आपको :भाजपा को: कभी कभी तो शिवसेना :अपनी सहयोगी पार्टी: की बात जरूर सुन लेनी चाहिए।

शिवसेना ने कहा कि केजरीवाल की सरकार लोकतांत्रिक तौर पर चुनी गई है इसलिए एक मुख्यमंत्री के तौर पर उनका आदर किया जाना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री और जेटली के खिलाफ जिस तरह की अभद्र भाषा का वह इस्तेमाल कर रहे हैं वह किसी सड़क छाप मवाली की भाषा के समान है।

पार्टी ने कहा, केजरीवाल ने अपनी चिढ़ और संताप को व्यक्त करते समय मुख्यमंत्री के पद का स्तर बहुत नीचे ला दिया है, जो गलत है।
2013 तक 13 वर्ष के लिए डीडीसीए की अध्यक्षता करने वाले जेटली अपने कार्यकाल के दौरान इस क्रिकेट संस्था में कथित अनियमितताओं के लिए निशाने पर हैं।