नई दिल्‍ली : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। लोकसभा में असहिष्‍णुता के मुद्दे पर नियम 193 के तहत बहस हुई, कांग्रेस और वामदलों ने बहस का नोटिस दिया। वहीं, समाजवादी पार्टी ने असहिष्‍णुता पर नरमी का रुख दिखाया। लोकसभा में आज बहस के दौरान माकपा सदस्य की ओर से गृह मंत्री पर आरोप लगाए जाने के बाद गतिरोध उत्‍पन्‍न हो गया।

संसद में असहिष्णुता पर बहस के दौरान सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम के एक विवादित बयान को लेकर हंगामा हो गया। चर्चा के दौरान सलीम ने कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा चुनाव के बाद 800 साल बाद हिन्दू शासक आने का बयान दिया था। सलीम के इस बयान पर राजनाथ सिंह ने आपत्ति जताते हुए सलीम से कहा वह बताएं की उन्होंने यह बयान कब और कहां दिया है। इस पर सलीम ने एक अंग्रेजी पत्रिका का हवाला दिया। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे के बीच सुमित्रा महाजन ने सलीम से कहा कि वह राजनाथ सिंह पर ऐसे इल्जाम न लगाएं और जो बात वह कहें उसे पहले जांचे फिर कहें। सलीम ने कहा कि सरकार के बीच बात दोनों तरफ से होनी चाहिए, इनकमिंग के साथ आउटगोइंग भी होनी चाहिए।

मोहम्मद सलीम के इस बयान के बाद राजनाथ सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मोहम्मद सलीम मेरा यह बयान साबित करें अन्यथा माफी मांगें। उन्होंने कहा कि सलीम ने जो भी कहा है वह उससे आहत हैं। अगर देश का गृह मंत्री ऐसा बयान देता है तो उसे पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। मेरे पूरे राजनीतिक जीवन के दौरान लगा यह सबसे बड़ा आरोप है। मैं बेहद आहत हूं। देश का हर वर्ग जानता है मैं ऐसा बयान नहीं दे सकता हूं। सलीम के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि जब तक इस तथ्य की सत्यता नहीं साबित होती, मोहम्मद सलीम अपना बयान वापस लें, यह बेहद आपत्तिजनक बयान है, जिससे देश का माहौल खराब हो सकता है।

वहीं, हालांकि लोकसभा स्पीकर ने मोहम्मद सलीम के गृह मंत्री राजनाथ सिंह पर दिए बयान को रेकॉर्ड में रखे जाने से इनकार किया है। राजनाथ और मोहम्मद सलीम के बीच बहस के बाद सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई है।

सदन की बैठक ढाई बजे पुन: शुरू होने पर भाजपा सांसद गणेश सिंह ने गृहमंत्री पर लगाए गए आरापों को ‘झूठा’ बताते हुए सलीम ने अपनी बात वापस लेने और क्षमा मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि एक पत्रिका की बात को सत्यापित होने तक उन्हें यह बयान सदन में बिना नोटिस के नहीं देना चाहिए था। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि सलीम ने केवल एक पत्रिका में लिखी बातों का उल्लेख किया है और उनकी ओर से गृह मंत्री की कोई अवमानना नहीं की गई है।

तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि असहिष्णुता पर इस तरह से चर्चा होना अपने आप में सहिष्णुता है। रूडी ने कहा कि गृह मंत्री पत्रिका के हवाले से कही गई बातों से बहुत आहत हैं और उन्होंने कहा है कि अगर यह बात सत्य है तो उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए सलीम को अपनी कही हुई बातों को वापस लेने का आग्रह मान लेना चाहिए।

कांग्रेस के वीरप्पा मोइली ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि भावनाओं का मामला है। उन्होंने कहा कि आउटलुक पत्रिका में छपी बात को सलीम कैसे वापस ले सकते हैं। सलीम ने पत्रिका में छपी बात को रखा और गृह मंत्री ने उससे इंकार किया। यह अपने आप में काफी है और सलीम किसी पत्रिका की बात को वापस कैसे लें। भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि सदस्य ने जो बयान दिया, वह सत्यापित नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी पत्रकार की कही गई बात से कहीं अधिक पवित्रता इस सदन की है और इस मामले में सदस्य और संबंधित पत्रकार के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाया जाना चाहिए।

इसी पार्टी के किरीट सोमैया ने कहा कि माकपा सदस्य को बिना नोटिस के बयान नहीं देना चाहिए था और इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। भाजपा के ही हुकुम सिंह ने इस मामले में माकपा सदस्य और पत्रकार के विरूद्ध विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। उन्होंने कहा कि इसे स्वीकार करके इन दोनों के विरूद्ध कार्रवाई करनी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने आरोप लगाया कि असहिष्णुता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा को नहीं होने देने के लिए लगता है कि माकपा और भाजपा में सांठगांठ हो गई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो दोनों दल सदन के बाहर चले जाएं और चर्चा के होने दें। सलीम ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष अपनी व्यवस्था दे चुकी हैं कि इस मुद्दे को सत्यापित होने तक अलग रखकर चर्चा को आगे बढ़ाया जाए और मंत्री (रूडी) कह रहे हैं कि बयान वापस लिया जाए।

व्यवस्था बनते नहीं देख उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए सवा तीन बजे तक स्थगित कर दिया। सवा तीन बजे बैठक शुरू होने पर नजारा पहले जैसा ही रहा। सलीम ने कहा कि उनका व्यक्तिगत रूप से राजनाथ सिंह से कोई झगड़ा नहीं है और उनकी चले तो नरेन्द्र मोदी की जगह सिंह को पीएम बना दें। उन्होंने कहा कि एक पत्रिका का हवाला दिया और इसका सत्यापन सरकार ही कर सकती है। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि एक बात आई है और वह सत्यापित नहीं है तब सदस्य अपनी बात वापस लें, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कम्यूनिस्टों के हाथ में कुछ नहीं रहता है और हम कहें की येचुरी के स्थान करुणाकरन महासचिव बन जाएं तो यह कोई बात नहीं है। हंगामा जारी रहने पर उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले, चर्चा की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के शीर्ष नेता वैंकेया नायडू ने कहा कि लेखकों, फिल्मकारों और अन्य लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस तरह की बयानबाजी करने वालों एवं ऐसी किताबों जो इस तरह की भावनाओं को बढ़ावा देती है, को प्रतिबंधित किये जाने की बात कही। चर्चा के बीच राजनाथ सिंह और मोहम्मद सलीम के बीच बहस के बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा से पहले संसद परिसर में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा सहिष्णुता इसी देश ने दिखाई और कुछ मामलों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना देश के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जितनी ज्यादा चर्चा की जा रही है, उतना ही नुकसान हो रहा है। चर्चा से पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि सरकार को नहीं लग रहा है कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है। बावजूद इसके अगर सदस्यों को लगता है कि ऐसा कुछ हो रहा है तो सरकार उनके सुझावों का स्वागत करेगी. मालूम हो कि देश में असहिष्णुता के बढ़ते मामलों को लेकर लोकसभा में विपक्ष ने की नियम 193 के तहत चर्चा की मांग की थी। जिस पर सरकार तैयार हो गयी है और बहस जारी है।