इंदौर। बाजार और कारोबार के जरिए क्षेत्र विकास के काम कैसे किए जा सकते हैं..? ये देश  को इंदौर के श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव क्लॉथ मार्केट मर्चेंट्स एसोसिएशन ने दिखाया भी और सिखाया भी। बाजार ने कारोबार में तो ऊंचाइयों को छूने के साथ शालेय शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, मंदिर, धर्मशाला, अस्पताल, मैरेज गार्डन से लेकर मुक्तिधाम तक के क्षेत्र में ऐसा काम कर दिखाया, जिसका कोई सानी नहीं है।

कभी बाजार में मोटा कपड़ा, लट्ठा बेचा जाता था। फिर ये कॉटन का दुनियाभर में किंग बना और बाजार से ही लंदन तक के कॉटन के भाव तय होने लगे। महाराजा तुकोजीराव होलकर व सर सेठ हुकुमंचद की अगुवाई में स्थापित बाजार ने कपड़ों के क्षेत्र में किसी को टिकने नहीं दिया। आज ये बाजार साड़ी, ड्रेस मटेरियल के साथ फलालेन के व्यापार में नंबर एक पर है।

इसके साथ ही न्यू क्लॉथ मार्केट के रूप में नया बाजार भी विकसित कर चुका है। सफेद बिछात वाली बैठक आज भी बाजार की पहचान है। बगैर गुमाश्ता यानी दलाल के यहां कारोबार मुश्किल है। बाजार की कई परंपराएं चौका देती हैं। मुनाफे में पांच, दस पैसे से लेकर चवन्नी तक का बट्टा बगैर हुज्जत के बिल के साथ कट जाता है। यानी मुनाफे में जितने का बट्टा कटा, उतना पैसा विकास कार्य में लग गया।

बाजार की गतिविधियां
वेयर हाऊस : बाजार ने तय किया, गोदाम भी स्वयं के होने चाहिए। लिहाजा पंचकुइयां आश्रम तरफ जाने वाले रास्ते पर, जिसे अंतिम चौराहा कहा जाता है, वहां जमीन ली गई। इस जमीन पर पहले अनाज मंडी संचालित होती थी। 30 अक्टूबर 1968 को इसकी स्थापना हुई और 203 गोदाम तैयार हुए। मेनरोड पर 27 गोदाम बनाए गए। यह वेयर हाऊस आज भी इंदौर का सबसे व्यवस्थित वेयर हाऊस है।

को-ऑपरेटिव बैंक : व्यापारियों, गुमाश्ताओं और हम्मालों को व्यावसायिक बैंकों में आ रही निरंतर कठिनाइयों का निदान भी बाजार के बैंक मे तलाशा गया और 28 जनवरी 1974 को क्लॉथ मार्केट को ऑपरेटिव बैंक की स्थापना हो गई। बैंक के 16 हजार सदस्य हैं।

क्लॉथ ब्रोकर्स एसोसिएशन : बाजार में काम करने वाले दलालों की संस्था श्री क्लॉथ मार्केट ब्रोकर्स एसोसिएशन की स्थापना 1914 में ही हो गई थी। इस एसोसिएशन के जरिए शैक्षणिक व सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं।

सेवा का भाव अब भी जिंदा
'न्यू क्लॉथ मार्केट के कारण एक बार फिर बाजार पूरे हिंदुस्तान पर राज करेगा, ऐसा विश्वास है। नए बाजार में वाहनों की पहुंच आसान रहेगी और युवा पीढ़ी भी अब नई टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में है। बाजार में सेवास की भावना 100 बरस बाद भी जिंदा है। इसका सबूत हाल ही में खजराना मंदिर में ट्रस्ट की तरफ से शुरू हुए डायलिसिस सेंटर के रूप में देखा जा सकता है। विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज का सपना भी पूरा होना है।'
- हंसराज जैन, अध्यक्ष म.तु. क्लॉथ मार्केट मर्चेंटस एसोसिएशन

सुख-दु:ख में साथ
'ये बाजार नहीं, एक परिवार है। सब सुख-दु:ख में साथ-साथ है। दर्जनों शैक्षणिक व अन्य संस्थाओं को 50 साल से भी ज्यादा समय से निर्विघ्न रूप से संचालित करना इस परिवार की खासियत है।'
-अरुण बाकलीवाल