पुणे: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने अगले 4 साल के दौरान कंपनी कर की दर को कम करके 25 प्रतिशत पर लाकर देश में 'तर्कसंगत और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कर प्रशासन' लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि देश में प्रत्यक्ष कराधान, "तर्कसंगत होना चाहिए और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि वह कंपनी कर को मौजूदा 34 प्रतिशत की दर से चरणबद्ध ढंग से 25 प्रतिशत पर लाने का प्रयास करेंगे।   

शहर की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इकाई द्वारा आयोजित उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों की बैठक को संबोधित करते हुए जेतली ने कहा, "प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में हमें वैश्विक तौर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए। मैं अगले 3 से 4 साल में कार्पोरेट कर की दर को कम करके 25 प्रतिशत पर लाने का प्रयास करंगा और यह प्रक्रिया अगले साल शुरू हो जाएगी।"

पिछली तिथि से कर लागू करने के मामले में पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर हमला करते हुए जेतली ने कहा कि इससे कई विवाद पैदा हुए और वैश्विक निवेशकों के बीच देश का नाम खराब हुआ। इसके बाद कई निवेशकों ने देश छोडऩे का फैसला किया।

जेतली ने परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी के लिए भी पिछली संप्रग सरकार को दोषी ठहराया जिसकी वजह से निवेश में कमी आई और अभी भी इसका निवेश परिदृश्य पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हरित मंजूरी के साथ तेजी से परियोजनाओं को मंजूरी दे रही है। उन्होंने राज्यों से कहा कि वह निवेशकों को आमंत्रित करने में प्रतिस्पर्धी हों। उन्होंने कहा कि आज का निवेशक काफी सोच समझकर निर्णय लेता है। यही वजह है कि हम अपने कराधान परिवेश को निवेशकों के अनुकूल बना रहे हैं।   

जेतली ने निजी क्षेत्र को देश में निवेश बढ़ाने में सरकार के साथ आगे आने को कहा। वित्त मंत्री ने अप्रत्यक्ष कर वसूली में चालू वित्त वर्ष के दौरान पहले 6 माह में 35.8 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि को देखते हुए उम्मीद जताई कि इस साल उन्हें वित्तीय घाटे को 3.9 प्रतिशत के बजट लक्ष्य के दायरे में रखने के लिए योजनागत बजट में कटौती के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा।   

पिछले साल सरकार को वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए योजनागत बजट में 15 प्रतिशत तक कटौती करनी पड़ी थी। जीएसटी को पारित होने से रोकने के लिए जेतली ने सामान्य तौर पर विपक्ष और विशेषतौर पर कांग्रेस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जीएसटी विधेयक के लाभ को समझे बिना और यह जानते समझते हुए कि यह विधेयक कांग्रेस का अपना प्रस्ताव है, इसे पारित करने में बाधा खड़ी कर रही है।