नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि संसद के बजट सत्र के दौरान अनुपस्थित रहने और कोई काम काज नहीं करने के बावजूद उन्होंने वेतन और भत्तों का लाभार्जन किया। हालांकि कांग्रेस ने इसे सरासर झूठ बताते हुए इसका खंडन किया है।

संघ के मुखपत्र आर्गेनाइज़र में छपे एक लेख में कहा गया है कि संसद सत्र के समय 56 दिनों तक ‘गायब’ रहने के बाद पिछले दिनों फिर से ‘लापता’ होने के कारण राहुल सुखिर्यों में रहे हैं। इसमें कहा गया, ‘कुछ आधिकारिक कागजात आर्गेनाइज़र के हाथ लगे हैं जो दर्शाते हैं कि बजट सत्र के दौरान कोई काम नहीं करने के बावजूद उन्होंने वेतन और भत्ते प्राप्त किए। यह बात एक ऐसे नेता, जो कि अपने को गरीब समर्थक होने का दावा करते हैं, के आचरण पर बहुत से तकनीकी और नैतिक सवाल खड़े करती है।’ इसमें कहा गया है कि गांधी खानदान के 44 वर्षीय उत्तराधिकारी से पूछा जाना चाहिए कि जब अनुपस्थित रहने पर एक आम आदमी का वेतन काट लिया जाता है तो 56 दिन अनुपस्थित रहने पर उन्होंने वेतन क्यों लिया।

इस लेख में उन दिनों अमेठी में लगे उस पोस्टर को भी छापा गया है जिसमें राहुल की फोटो के नीचे लिखा है, ‘क्या आपने इस व्यक्ति को देखा है।’ आर्गेनाइजर में कहा गया, ‘ऐसे में यह न सिर्फ हैरान करने वाली बात है, बल्कि देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है कि 56 दिन अनुपस्थित रहने के बावजूद श्रीमान गांधी ने अपने विशेषाधिकारों को अर्जित किया।’

लेख में कहा गया है कि एक सांसद को 50 हजार रुपए महावार वेतन और संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन के हिसाब से 2000 रुपयों का भत्ता मिलता है। लेकिन इसमें यह नियम भी है कि जो सदस्य सदन के उपस्थिति रजिस्टर में दस्तखत करेगा उसे ही उस हिसाब से भत्ता मिलेगा। इसमें सवाल उठाया गया कि जब राहुल पूरे सत्र के दौरान अनुपस्थित रहे तो उन्होंने वेतन और भत्ता क्यों लिया।

उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संघ के इस दावे को ‘सरासर झूठ’ बताते हुए कहा कि राहुल ने अपनी अनुपस्थिति के समय का कोई दैनिक भत्ता नहीं लिया।