इंदौर। पेटलावद ब्लास्ट में 89 मौतों के जिम्मेदार राजेंद्र कांसवा का पांच दिन बाद भी कोई सुराग नहीं लगा। अब सवाल उठ रहा है कि वह जिंदा भी या नहीं? बुधवार को फॉरेंसिक विभाग की टीम यह पता लगाने के लिए एमवाय अस्पताल पहुंची कि मर्च्युरी में से रखी पोटलियों में से एक राजेंद्र कांसवा का तो नहीं। इसे लेकर दिनभर छानबीन होती रही। मेडिकल कॉलेज की टीम भी इस आशंका से इंकार नहीं कर रही। इस बात को इसलिए भी बल मिल रहा है कि मानपुर से पकड़ाए कांसवा की पत्नी और बेटी के मुताबिक राजेंद्र उनके साथ नहीं हैं, वे खुद उसे तलाश रहे हैं।

शनिवार को पेटलावद में हुए ब्लास्ट के बाद सात पोटलियों में क्षत-विक्षत शवों के अंगों को एमवाय अस्पताल भेजा गया था। इनमें से तीन पोटलियों की तो पहचान हो गई, लेकिन चार अब तक पहचान के अभाव में मर्च्युरी में हैं। पुलिस वारदात के मुख्य आरोपी राजेंद्र कांसवा को तलाश रही है। मंगलवार को उसके परिजन ने बताया था कि कांसवा उनके साथ नहीं है। इस खुलासे के बाद बुधवार दोपहर फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. सुधीर शर्मा पेटलावद के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मर्च्युरी में रखी पोटलियां जांचने पहुंची। पोटलियों में पुरुषों के दो हाथ भी हैं। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से एक राजेंद्र कांसवा का हो सकता है।अब इन अंगों का डीएनए टेस्ट होगा।

एक शव के हाथ में देखी थी अंगूठी

पेटलावद धमाके के बाद घटनास्थल से शवों के अंग समेटने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को बताया था कि पहले ब्लास्ट के बाद उनसे राजेंद्र कांसवा को घटनास्थल पर देखा था। दूसरे ब्लास्ट के बाद जब चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं, उसमें एक हाथ में वैसी ही चौरास अंगूठी थी जैसी कांसवा पहनता था। हालांकि पोटलियों में रखे दो हाथों में से किसी में भी अंगूठी नहीं है। एक पंजे की अंगुली कटी मिली है। आशंका जताई जा रही है कि हादसे के बाद किसी ने अंगूठी निकालने के लिए अंगुली काट दी होगी।

सड़ने लगे अंग

घटना को पांच दिन हो चुके हैं। ब्लास्ट में क्षत-विक्षत हुए शवों के अंग अब डिकंपोज होने लगे हैं। संभावना है कि गुरुवार को अंगों का अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। विशेषज्ञों के मुताबिक फ्रीजर में रखे इन अंगों की पहचान के लिए डीएनए भी कराया जाएगा।

डीएनए से होगा खुलासा

मर्च्युरी में रखे हाथ राजेंद्र कांसवा के हैं या नहीं, इसके लिए परिजन के डीएनए से इनका मिलान कराया जाएगा। पहचान के लिए अस्थियां भी सहेजी जाएंगी।

-डॉ.संजय दादू, फॉरेंसिक विभागाध्यक्ष, एमजीएम मेडिकल कॉलेज

इसलिए उठा सवाल

- ब्लास्ट के समय घटनास्थल के आसपास मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि पहले ब्लास्ट के बाद राजेंद्र कांसवा को उन्होंने शटर खोलते देखा था। घटना के बाद उसकी बेटी सोनिया भी उसे तलाशते हुए वहां पहुंची थी। बाद में उसका भाई नरेंद्र भी वहां पहुंचा था।

- पड़ोसियों ने भी इस बात की पुष्टि की कि पहले विस्फोट के बाद राजेंद्र कांसवा नौकर के साथ बाइक पर दुकान के लिए रवाना हुआ था।

- पुलिस राजेंद्र के मोबाइल लोकेशन ट्रेस कर रही थी, लेकिन उसकी पत्नी और बेटी से पूछताछ में खुलासा हुआ कि दुकान मालिक का फोन आने से जल्दबाजी में उनका फोन घर पर ही छूट गया था। बाद में इस पर कॉल आते रहे।

- कांसवा की पत्नी और बच्चों ने यह भी बताया कि ब्लास्ट के बाद से उनकी राजेंद्र से कोई बात नहीं हुई न ही वे मिले। उन्हें खुद चिंता है कि उनका क्या हुआ।

जिंदा मानकर कर रहे जांच

हम राजेंद्र कांसवा को जिंदा मानकर ही जांच कर रहे हैं। उसके मारे जाने की पुष्टि नहीं हुई है। डीएनए जांच के बारे में कुछ नहीं कहना। -जीजी पांडे, एसपी, झाबुआ

पत्नी-बच्चों से नहीं मिला सुराग

कांसवा की पत्नी और दोनों बच्चों को मानपुर से पकड़ने के बाद पुलिस पूछताछ के लिए गोपनीय जगह ले गई थी, जहां से उन्हें बुधवार सुबह सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया। बेटे शुभम से पूछताछ जारी है। सूत्रों के मुताबिक पत्नी प्रमिला और बच्चों सोनिया और शुभम ने पुलिस से बार-बार यही कहा कि ब्लास्ट के बाद से ही उनकी राजेंद्र से न बात हुई न मुलाकात।