उज्जैन ।   डोलग्यारस पर कालभैरव मंदिर से भगवान कालभैरव की सवारी निकाली जा रही है। पहली बार सेनापति चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण कर रहे हैं। शाम 4 बजे शाही ठाठ बाट के साथ सवारी शुरू हुई। मंदिर प्रशासक कैलाशचंद्र तिवारी ने बताया दोपहर 3.30 बजे कलेक्टर आशीषसिंह ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान कालभैरव को ग्वालियर से आई सिंधिया शाही की पगड़ी धारण कराकर पूजा अर्चना की। इसके बाद सभा मंडप में भगवान के रजत मुखारविंद का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल के जवानों ने सेनापति को सलामी दी। कालभैरव मंदिर से शुरू होकर सवारी भैरवगढ़ जेल तिराहा पहुंची। यहां जेल अधीक्षक उषा राज पालकी ने पूजन किया। इसके बाद सवारी नया बाजार, भैरवगढ़ नाका, माणक चौक, महेंद्र मार्ग होते हुए शिप्रा के सिद्धवट घाट पहुंचेगी। यहां वैकुंठ द्वार पर पुजारी शिप्रा जल से बाबा कालभैरव व चरण पादुकाओं का पूजन करेंगे। पश्चात सवारी बृजपुरा, जेल तिराहा होते हुए शाम पुन: मंदिर पहुंचेगी। सवारी में शस्त्र बल की टुकड़ी, बैंड, धार्मिक झांकियां, अखाड़े, हाथी, घोड़े, बग्घी, प्रबुद्धजन व नगरवासी शामिल रहेंगे।

छप्पन पकवानों का भोग

मंगलवार सुबह पं. धर्मेंद्र पुजारी के आचार्यत्व में भगवान कालभैरव का भैरव सहस्त्रनामवली से पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। पश्चात चांदी के आभूषणों से दिव्य शृंगार किया गया। भगवान को छप्पन पकवानों का भोग लगाकर आरती की गई। वाराणसी के कारीगरों ने आठ माह में तैयार की है नक्काशीदार पालकी