
विदिशा । विदिशा भोपाल मार्ग पर बेतवा नदी के किनारे रंगई गांव में स्थित बाढ़ वाले गणेश मंदिर में गणेशोत्सव पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। गणेश से बाढ़ वाले गणेश कहलाने की कहानी भी काफी रोचक है। इस मंदिर के पुजारी परशुराम चौबे के मुताबिक यहां वर्ष 2009 में गणेशोत्सव के बाद बेतवा नदी में आई बाढ़ में भगवान गणेश की मूर्ति बहकर आई थी। यह मूर्ति बाढ़ के पानी में कई दिनों तक डूबी रहने के बावजूद जस की तस थी। आसपास के लोगों ने यह मूर्ति नदी के किनारे ही स्थापित कर दी। बाद में इस मूर्ति की जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह चौहान को मिली तो उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण कराया। तब से यह मंदिर बाढ़ वाले गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। गणेशोत्सव के दौरान मंदिर में विदिशा शहर सहित आसपास के जिलों के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते है। दस दिनों तक यहां अखंड रामायण का पाठ होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन भंडारा और कन्याभोज का आयोजन होता है, जिसमें मुख्यमंत्री सपत्नीक शामिल होते है।
मुख्यमंत्री की है अगाध आस्था
इस मंदिर से मुख्यमंत्री चौहान और उनके परिवार की अगाध आस्था जुड़ी है।वे पिछले 13 वर्षों से गणेशोत्सव के दौरान इस मंदिर पर होने वाले भंडारे में शामिल होते है।इसके अलावा वे जब भी विदिशा आते है, इस मंदिर पर जाकर बाढ़ वाले गणेश के दर्शन जरूर करते है। एक दिन पहले बुधवार को गणेश चतुर्थी के दिन मुख्यमंत्री चौहान दिन के समय जिले में ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दौरे पर थे। शाम पांच बजे वे भोपाल रवाना हुए थे। छह घंटे बाद रात साढ़े ग्यारह बजे वे फिर गणेश मंदिर पहुंचे और उन्होंने भगवान गणेश की आराधना की। वे अनंत चतुर्दशी के दिन भी हवन और भंडारे में शामिल होंगे।