तपेदिक (टीबी) का मुफ्त और अत्यधिक प्रभावी इलाज मौजूद है, फिर भी भारत में हर साल इस बीमारी से हजारों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। टीबी को लेकर हुए एक ताजा अध्ययन के अनुसार, देश में टीबी के कई मामलों की तो पुष्टि तक नहीं हो पाती, जिसका मुख्य कारण है निजी चिकित्सकों का बेहद लचर स्वास्थ्य सेवा तकनीक से लैस होना।

अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को टीबी की बेहतर तरीके से जांच के लिए उन्नत एवं अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराया जाना चाहिए, क्योंकि मरीज इलाज के लिए सबसे पहले वहीं पहुंचते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुख्य शोधकर्ता हेनरिक साल्जे ने कहा है कि भारत के अधिकांश लोग टीबी के शुरुआती दौर में निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास खांसी का इलाज कराने पहुंचते हैं।