देहरादून: केंद्रीय जल संसाधन, ग्रामीण विकास और गंगा पुनरूद्वार मंत्री उमा भारती ने आज कहा कि स्वच्छ गंगा अभियान रोटी और रोजगार को भी जोड़ेगा जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। गंगा नदी के लिए वानिकी प्रयासों की विस्तृत कार्ययोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए यहां शुरू हुई हितधारकों की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक को बतौर मुख्य अतिथि दिये अपने संबोधन में उमा ने कहा, गंगा सिर्फ एक धार्मिक नदी नहीं है बल्कि 50 करोड लोग भी इसके उपर निर्भर हैं। हम चाहते हैं कि स्वच्छ गंगा अभियान को रोटी और रोजगार से भी जोड़ा जाये जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो।
इस संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘गंगा धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। रोजगार की दृष्टि से यह और भी महत्वपूर्ण है। अगर वह सूख गई तो आधे लोगों की जीवन रेखा भी समाप्त हो जायेगी। इस संबंध में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में औषधीय पादपों की बड़ी संभावनायें हैं जिनसे रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है। उमा ने कहा कि उत्तराखंड केवल गंगा का स्रोत नहीं है और इसमें इतनी ताकत है कि औषधीय पादपों को उगाकर एवं उनका प्रसंस्करण कर यह राज्य विकास का खजाना बन पूरी दुनिया में नाम कमा सकता है।
 
उन्होंने कहा कि रोटी और रोजगार के लिये जरूरी है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता बनाये रखी जाये। गंगा पर बन रहे बांधों का जिक्र करते हुए उन्होंने साफ किया कि वह बांधों की विरोधी नहीं हैं लेकिन वह चाहती है कि बंाध एेसे बने कि उसका मूल प्रवाह अवरूद्घ न हो। इस संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ समय पहले तक उनकी छवि बांध विरोधी अभियानकर्ता की बन गई थी। हालांकि, उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके कार्यभार संभालने के बाद से उनके खिलाफ अभियान बंद हो गया है।