इंदौर। एमवायएच में मंगलवार को डॉक्टर के साथ हुई मारपीट की घटना के बाद 250 जूनियर डॉक्टर छुट्टी पर चले गए। बुधवार को सैकड़ों जूनियर डॉक्टरों ने काम नहीं किया। डॉक्टरों ने हड़ताल तो घोषित नहीं की, लेकिन माहौल वैसा ही था।

ओपीडी से लेकर वार्ड में भर्ती मरीज परेशान होते रहे। शाम तक अस्पताल या जिला प्रशासन की ओर से डॉक्टरों से कोई चर्चा नहीं की गई। डॉक्टरों ने ही गांधीगिरी कर शहर के लोगों से मदद करने की मांग की।

डॉक्‍टर के साथ हुई थी मारपीट

मंगलवार को एमवायएच में पांचवीं मंजिल पर वार्ड 27 आईसीयू में भर्ती यूसुफ खान की मौत हो गई थी। उसके बाद 15-20 परिजन आईसीयू में घुसे और डॉ. लल्लन प्रसाद के साथ मारपीट कर दी। महिला डॉक्टर डॉ. ईशा तिवारी के साथ भी गाली-गलौज की। हथियारों से लैस लोगों को देख सुरक्षाकर्मी भी घबरा गए।

करीब डेढ़ घंटे बाद अस्पताल में पुलिस आई। फिर हंगामा शांत हुआ, लेकिन घटना से डॉक्टर इतने घबरा गए कि अस्पताल में काम करने को तैयार नहीं हो रहे। मंगलवार शाम और बुधवार सुबह तक 250 जूनियर डॉक्टरों ने आकस्मिक अवकाश का आवेदन दे दिया था।

पर्चा देकर कहा-डॉक्टरों को बचा लो

जूडॉ शाम को 56 दुकान, सी-21 मॉल, सेंट्रल मॉल सहित शहर के अलग-अलग हिस्सों में दल बनाकर पहुंचे। यहां लोगों से अपनी सुरक्षा की मांग की। जनता से कहा कि हमें बचा लो, ताकि कोई अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने से न डरे। गांधीगिरी के जरिये समाज में डॉक्टरों के प्रति संवदेनशील होने की अपील की।

मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कहा- एमवाय के सुरक्षा इंतजाम फेल

जूडॉ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित चिकित्सा शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर घटना की जानकारी दी। जूडॉ अध्यक्ष डॉ. मोहित नरेड़ी व डॉ. रुचि जोशी ने कहा कि बीती घटना से सबक नहीं लेकर भी अस्पताल ने सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता नहीं किया। अस्पताल में जीवन रक्षक दवाइयां नहीं हैं। सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई, सक्शन मशीन, वेंटीलेटर सभी खराब हैं। ऐसे में मरीज को कुछ होता है तो परिजन डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि अस्पताल में मूलभूत सुविधा है ही नहीं।

ये मांगें उठी

- अस्पताल में इमरजेंसी अलार्म सिस्टम हो। दिन में तीन बार पुलिस की गश्त हो।

- परिजन और डॉक्टर के लिए आने-जाने का अलग-अलग रास्ता हो।

- खराब मशीनों को एक हफ्ते में सुधारा जाए। लाइफ सेविंग ड्रग की उपलब्धता हो।

- अस्पताल में पीने का पानी, ड्यूटी रूम में टॉयलेट, स्वच्छता हो।

- कम से कम 50 हजार रुपए स्टाइपंड किया जाए