
भोपाल/जबलपुर । मप्र में फिलहाल बिजली संकट नहीं होगा क्योंकि कोयला संकट टल गया है। बिजली बनाने के लिए जरूरी कोयले की कमी दूर कर ली गयी है। यह दावा जबलपुर पहुंचे ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने किया है। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि प्रदेश 21000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रदेश है। इसमें साढ़े 7 हज़ार मेगावाट बिजली का मूल स्रोत प्राकृतिक है। इनमें जल, वायु और सौर ऊर्जा शामिल है। इसके अलावा थर्मल यानि कोल आधारित बिजली उत्पादन इकाई शामिल हैं। हाल ही में बिजली का जो संकट आया वह कोयले की कमी के कारण था। अगर ज्यादा पानी ना गिरे तो जल स्त्रोत से बिजली उत्पादन पर असर पड़ता है। अगर हवा ना चले तो वायु स्त्रोत पर आधारित बिजली उत्पादन घटता है और अगर धूप न निकले तो सौर ऊर्जा में भी दिक्कत आती है।ऊर्जा मंत्री ने कहा- थर्मल पावर स्टेशनों में कोयले की कमी आई थी। उसे जल्द दूर कर लिया गया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने बताया कि फिलहाल मध्य प्रदेश में कोयले की स्थिति बेहतर हुई है और अन्य प्रदेशों के मुकाबले मध्य प्रदेश के हाल बिजली के मामले में काफी अच्छे हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश के पास ढाई लाख मीट्रिक टन कोयला उपलब्ध है। इसके अलावा साढ़े 7 लाख मीट्रिक टन कोयला टेंडर कर विदेशों से बुलाया जा रहा है। 20 लाख मीट्रिक टन से अधिक कोयला सड़क मार्ग से बुलवाने के लिए टेंडर किया गया है। ऊर्जा विभाग की रीढ़ मजबूत करने गुरूवार से जबलपुर में तीन दिवसीय मंथन कार्यशाला शुरू हुई। अपने संबोधन में ऊर्जा मंत्री ने कहा - विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी तकनीकी तौर पर ज्यादा समझदार होते हैं। उम्मीद जताई कि भविष्य में किस तरह से ऊर्जा विभाग को गति देनी है और कमियों को दूर करना है। इसका फैसला खुद कर्मचारी ही करेंगे। कार्यक्रम में ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने कहा ऊर्जा विभाग एकलौता ऐसा विभाग है जिसमें लिए गए फैसलों का असर 10 साल बाद मिलता है। स्पष्ट है कि आज हम जो फैसला लेंगे वह आगामी कई साल तक ऊर्जा सेक्टर को प्रभावित करेगा। वर्तमान दौर में उन्होंने कहा हमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म डिसीजन लेने की आवश्यकता है। इस मंथन का मूल मकसद पावर सेक्टर में सुधार का है।