नई दिल्ली। पिछले दिनों गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंदिर निर्माण में देरी के लिए कानून और राज्यसभा में अल्पमत को कारण बताया, वहीं हिंदू धार्मिक नेताओं ने गृह मंत्री और केंद्र सरकार पर इस बाबत कटाक्ष करते हुए नाराजगी जाहिर की है। हिंदू धार्मिक नेताओं ने मंगलवार को कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में निर्णय देता है तो वे किसी राजनीतिक मदद के बिना अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करेंगे।

दिल्ली के रामलीला मैदान में हिंदू धर्म संसद को संबोधित करते हुए द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने बीजेपी नेताओं को नसीहत भी दी है कि वे अब राम मंदिर के निर्माण की बात करना बंद करें। शंकराचार्य ने कहा, "हम हाथ जोडकर आपसे (राजनाथ सिंह) से आग्रह करते हैं कि राम जन्मभूमि के बारे में बात मत करिए। हम उस स्थान पर राम मंदिर का निर्माण करेंगे।"

शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दलों के एक तबके ने मुगल शासक बाबर का नाम मामले में राजनीतिक लाभ के लिए लाया। उन्होंने कहा कि अदालत ने स्वीकार किया है कि बाबर इस स्थान पर कभी नहीं पहुंचा था। शंकराचार्य ने कहा कि वहां इसके अवशेष हैं कि यह हिंदुओं का पूजा स्थल था।