नई दिल्ली : मोदी सरकार कुछ ही दिनों में अपना एक साल पूरा कर लेगी उनके इस कार्यकाल के बारे में जब लोगो से पूछा गया तो जवाब सकारात्मक आया है। दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार 26 मई को अपना एक साल पूरा करेगी। ऐसे में सरकार को अब जनता की कसौटी पर परखने का समय है। इसके लिए किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि अधिकतर लोग मोदी सरकार के कामकाज से खुश है।

इन्स्टा वाणी द्वारा किए गए इस सर्वे के अनुसार, करीब तीन चौथाई लोग मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट है। वही, मेट्रो शहरों के 82 फीसदी और गैर मेट्रो के 74 फीसदी लोगों ने माना कि आर्थिक विकास के मोर्चे पर भी सरकार सही दिशा में बढ़ रही है।

पिछले एक साल में भ्रष्टाचार का कोई हाईप्रोफाइल मामला नहीं आने के कारण भी लोगों के मन में मोदी सरकार के प्रति सकारात्मक धारणा बनी है। वहीं, स्वच्छता के मुद्दे पर मेट्रो शहरों के 86 फीसदी लोगों ने सरकार को पूरे नंबर दिए।

नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक साल पूरे करने जा रही है केंद्र की भाजपा सरकार। इस मौके पर इंस्टा वाणी की ओर से किए गए एक सर्वे में 74 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज को पसंद किया है।

सर्वे में कुल 12,481 लोगों से बातचीत की गई। कोई भी वैश्विक नेता इस बात पर खुश हो सकता है कि हर चार में से तीन मतदाता उसके कामकाज को पसंद कर रहे हैं, पर यह पिछले साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण से थोड़ा कम है। तब इसी संस्था के सर्वे में 82 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज को पसंद किया था।

दूसरी ओर देखें तो राज्यसभा में भाजपा के लिए विपक्षी दल लगातार मुश्किलें खड़ी कर रहे है। वहीं निवेशक इस बात से नाराज हो सकते है कि सरकार कर संबंधी उलझनों को दूर करने के लिए अपनी कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर रही है।

महानगरों के 82 फीसदी लोग और गैर महानगरों के 67 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के कामकाज पर अपनी मुहर लगाई है। वहीं महानगरों के 82 फीसदी और गैर महानगरों के 74 फीसदी लोगों ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों को सही ठहराया है।

हां, यह सही है कि कृषि संकट पर केंद्र सरकार के कामकाज को महानगरों या गैर महानगरों के लोग यथोचित नहीं मानते। पर भाजपा अब भी सबसे लोकप्रिय पार्टी है। महानगरों में 82 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने 2014 में पार्टी को वोट दिया था, वहीं इनमें से 70 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अब भी इसी पार्टी को अपना वोट देंगे।

वहीं गैर महानगरों में 64 फीसदी लोगों ने भाजपा को वोट दिया था, इनमें से 62 फीसदी लोग अब भी पार्टी के साथ है।एक साल में कोई हाई प्रोफाइल भ्रष्टाचार का मामला नहीं आया है, इसलिए भाजपा के सामने संतुष्ट होने का कारण है। आने वाले समय में कमजोर मानसून के भी संकेत है, इसके बावजूद सरकार लोगों से मिल रही सकारात्मक प्रतिक्रिया से खुश हो सकती है।

आर्थिक विकास के मोर्चे पर भी बड़ी संख्या में लोग मोदी सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे है। शहरी क्षेत्र के 82 फीसदी लोग मानते हैं कि मोदी सरकार आर्थिक विकास के मुद्दे पर देश को सही दिशा में लेकर आगे बढ़ रही है। वहीं महज 13 फीसदी लोग सरकार की आर्थिक नीतियों के साथ अपनी सहमति नहीं रखते। इस मामले में 5 फीसदी लोगों का विचार तटस्थ है। अगर गैर शहरी क्षेत्र से सर्वे में शामिल लोगों के विचारों की बात करें तो यहां भी 74 फीसदी लोग मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को सही ठहरा रहे है। यहां पर 17 फीसदी लोग सरकार के खिलाफ हैं, जबकि महज 9 फीसदी लोग इस मामले में अपना कोई विचार नहीं रखना चाहते।

केंद्र सरकार के सामने कर्ज में डूबे किसानों के मुद्दे को सुलझाना अहम है। कुछ महीने पहले हुई ओलावृष्टि और आंधी-तूफान से देश के कई हिस्सों में फसल बरबाद भी हुई है। देश के किसानों की समस्याओं पर बात करें तो शहरी क्षेत्र के 64 फीसदी लोग मानते हैं कि इस मुद्दे को केंद्र की मोदी सरकार ने सही तरीके से उठाया है और किसानों की समस्याओं को हल करने को लेकर सरकार गंभीरता से काम कर रही है। वहीं 24 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकार किसानों के जख्म पर मरहम लगाने में असफल रही है। उधर 12 फीसदी लोग इस मामले में कोई विचार नहीं दे सके। हालांकि छोटे शहरों के उत्तर देने वालों लोगों में 52 फीसदी लोग ही मानते है कि मोदी सरकार किसानों की हमदर्द है। वहीं गैर महानगर के 32 फीसदी लोग मानते है कि केंद्र सरकार किसानों के मुद्दों पर गंभीर नहीं है। उधर 16 फीसदी लोग इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना चाहते।

मोदी सरकार ने गांधी जयंती के मौके पर देश भर में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। जिस तरह से सफाई और स्वच्छता के मुद्दे पर केंद्र सरकार काम कर रही है, इस पर शहरी क्षेत्र के 86 फीसदी लोग सहमत है। उनका कहना था कि सरकार ने इस मुद्दे को उठा कर अच्छा काम किया है। वहीं 10 फीसदी लोग इससे सहमत नहीं है, जबकि 5 फीसदी लोग इस मुद्दे पर तटस्थ है। गैर महानगर क्षेत्र के लोगों की राय की बात करें तो 78 फीसदी लोग सरकार के स्वच्छता अभियान के साथ वहां भी अपनी सहमति जता रहे है। वहीं महज 16 फीसदी लोग इस तरह के अभियान के खिलाफ है। महज 6 फीसदी लोग इस मामले में अपना कोई विचार नहीं रखना चाहते।