नई दिल्ली : राहुल के अचानक छुट्टी पर जाने से उनकी ताजपोशी की जिन चर्चाओं पर विराम लग गया था, कांग्रेस के इस उपाध्यक्ष की इस बीच की सक्रियता से वे चर्चाएं फिर शुरू हो गई हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस संगठन की चुनावी प्रक्रिया के समापन पर उन्हें कमान सौंपे जाने का फैसला हो सकता है।

आगामी 6 मई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी डिनर आयोजित कर रही हैं, जिसमें कांग्रेस के सांसदों के अलावा कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को भी बुलाया गया है। कांग्रेस के लोकसभा में 44 और राज्यसभा में 68 सदस्य हैं।

डिनर में मन टटोल सकती हैं सोनिया
इस हाई प्रोफाइल डिनर के आयोजन की वजह साफ तौर पर नहीं बताई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष इसके बहाने अपने सांसदों से मोदी सरकार को घेरने की भावी रणनीति और पार्टी संगठन में संभावित बदलावों पर चर्चा कर सकती हैं। चर्चा है कि सीनियर पार्टीजनों के बीच सोनिया राहुल के हाथों कमान सौंपे जाने पर लोगों का मन टटोल सकती हैं।

सक्रियता से बंद किए आलोचकों के मुंह
राहुल की लीडरशिप पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। खासकर उनकी लंबी गैरमौजूदगी में उनकी क्षमता को लेकर काफी सवाल उठे थे। लेकिन लौटने के बाद राहुल ने जिस तरह की सक्रियता दिखाई है, उसने न सिर्फ मोदी सरकार को बखूबी घेरा, बल्कि आलोचकों के मुंह को भी काफी हद तक बंद कर दिया। पार्टी के एक सीनियर नेता के मुताबिक, राहुल गांधी पार्टी की कमान लेने से पहले संगठन और लोगों को संकेत देना चाहते हैं कि वह इस जिम्मेदारी के लिए तैयार हैं।

आज बिहार दौरे पर
किसान मुद्दों को लेकर राहुल संसद से सड़क तक सक्रियता और आक्रामकता दिखा चुके हैं। इस मुद्दे पर वह पंजाब, हरियाणा व महाराष्ट्र का दौरा कर चुके हैं। 9 या 10 मई को वह तेलंगाना के दौरे पर जाने वाले हैं। नया राज्य बनने के बाद उनकी यह पहली विजिट होगी। उल्लेखनीय है कि यहां भी मौसम की मार और लोन न मिलने जैसी वजहों के चलते 700 से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। शनिवार को वह भूकंप पीड़ितों से मिलने बिहार जा रहे हैं। आगामी बिहार असेंबली चुनावों के मद्देनजर उनका यह दौरा अहम माना जा रहा है।