
झारखंड विधानसभा में कृषि बजट पर चर्चा हुई। बजट पर चर्चा के दौरान जवाब देते हुए कृषि मंत्री ने झारखंड के किसानों के किए जा रहे कार्यों की जानकार दी। उन्होंने कहा की लोन माफी योजना के अंतर्गत झारखंड में दो सालों में 3।80 किसानों का ऋण माफ किया गए। सभी किसानों का 50 हजार तक का लोन माफ किया गया। उन्होंने बताया कि इस मद में 1516 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। सत्र में हंगामे के बीच वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 3130 करोड़ रुपए का अनुदान मांग पारित किया गया। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से जो वायदा किया था उसे सरकार पूरा करने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
सदन में चर्चा के दौरान बोलते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में कृषि के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है। इसलिए इस बार के आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र का ग्रोथ रेट 26 फीसदी रहा है। वही अनुदान मांग के कटौती प्रस्ताव रखते हुए भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि राज्य सरकार ने दो लाख रुपए तक का लोन माफ करने की घोषण की थी। पर किसी भी किसान का दो लाख का लोन माफ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से जो वायदे किए थे उनपर अभी तक अमल नहीं किया गया है।
झारखंड में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बंद किए जाने पर बोलते हुए कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में बीमा कंपनियों ने भुगतान में लापरवाही बरती है इसके कारण झारखंड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर निकल गया। बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड सरकार ने बीमा कंपनियों के प्रीमियम के तौर पर565 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। जबकि बीमा कंपनियों ने झारखंड में बीमा क्लेम के तौर पर सिर्फ 90 करोज़ रुपए का ही भुगतान किसानो को किया है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने राज्य के किसानों की 35 से 38 लाख बताया था, जबकि राज्य में किसानों की 58 लाख हैं।
मुख्यमंत्री पशुधन योजना का जिक्र करते हुए इस योजना को लाभुकों तक पहुंचाने में परेशानी हो रही है क्योंकि इस योजना का आकार काफी बड़ा है। सरकार इस दिशा में काम कर रही है और जल्द ही राज्य के पशुपालकों को इस योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। किसानो की ऋण माफी योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना राज्य में जारी है। वर्तमान बजट में इसके लिए 926 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बीज वितरण के लिए 60 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है।