अमेरिका इन दिनों अमेरिका की रेड लिस्‍ट काफी सुर्खियों में है।बताया जा रहा हैं, कि अमेरिका ने धार्मिक स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन करने वाले देशों के बहाने अपने रणनीतिक और सामरिक संबंधों को एक नई दिशा दी है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है, कि पाकिस्‍तान और चीन का नाम सूची में शामिल हैं,वहीं भारत सूची से बाहर है।
अमेरिकी रेड लिस्‍ट ने साबित कर दिया है कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ अपने रिश्‍तों को कितना अ‍हमियत देता है। बाइडन प्रशासन की नजर में भारत कितना अहम है।इसका अनुमान इससे लग सकता है, कि अमेरिका में धार्मिक आजादी का आकलन करने वाले अमेरिकी पैनल के सुझाव के बाद भी बाइडन प्रशासन ने धार्मिक स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन करने वालों देशों की सूची से भारत को अलग रखा है। जबकि अमेरिकी पैनल यूएस कम‍िशन आन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम ने लगातार दूसरे साल भारत में धार्मिक स्‍वतंत्रता पर चिंता प्रगट कर रेड लिस्‍ट में शामिल करने का सुझाव दिया था।
इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय प्रेम के पीछ चीन एक बड़ा फैक्‍टर है। हाल के वर्षों में अमेरिका और चीन के संबंध काफी तल्‍ख हुए है। हांगकांग, ताइवान, हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में चीन ने अमेरिकी हितों को निशाना बनाया है। हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अमेरिका को चीन से कड़ी टक्‍कर मिल रही है। चीनी हस्‍तक्षेप से दक्षिण एशिया का क्षेत्रीय संतुलन बदल गया है। अमेरिका जानता है कि चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सबसे महत्‍वपूर्ण है। भारत अब अमेरिका की एक बड़ी जरूरत है।इसकारण है कि बाइडन के पूर्व ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक रूप से भारत को सबसे बड़ा दोस्‍त कहा था।
दअसल, अमेरिका का एक आयोग हर साल दुनिया के तमाम देशों में धार्मिक आजादी का आकलन करता है। फिर अमेरिकी प्रशासन को सिफारिश करता है कि किन देशों को रेड लिस्ट में डालना चाहिए। इस आयोग का नाम यूएस कमिशन आन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम। इस श्रेणी में मानवाधिकार के उल्लंघन,दुर्व्यवहारियों का सामना करने और उनसे जूझने वालों को भी रखा है। आयोग की र‍िपोर्ट के आधार पर अमेरिकी प्रशासन हर साल ऐसे देशों और संगठनों की लिस्ट जारी करता है, जो अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं।
हाल में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए सूची जारी किया है। इस सूची में पाकिस्‍तान और चीन का नाम भी शामिल है। इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया है। इसके अलावा अमेरिका ने अल्जीरिया, कोमोरोस, क्यूबा और निकारागुआ को विशेष निगरानी सूची में रखा है, जो धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में शामिल हैं।