नई दिल्ली: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे को दिल्ली उच्च न्यायालय ने चेतावनी देते हुए कहा है कि वह उत्तर प्रदेश, बिहार व झारखंड के लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी न करें। न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में ठाकरे की तरफ से दायर अपील पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि किसी को भी दूसरे के राज्य या भाषा से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हर इंसान को अपने राज्य व भाषा को बढ़ावा देने का हक है। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता महाराष्ट्र को प्रमोट करें, इससे किसी को कोई समस्या नहीं होगी। परंतु वह दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप न करें। ठाकरे ने वर्ष 2012 में भड़काऊ भाषण देने के मामले में उनके खिलाफ जारी समन के आदेश को चुनौती दे रखी है।

मामले की सुनवाई के दौरान ठाकरे में वकील अरुणाभ चौधरी ने दलील दी कि इस मामले में केस चलाने से पहले न तो केंद्र सरकार से अनुमति ली गई और न ही राज्य सरकार से। उसके बावजूद भी दंडाधिकारी ने इस मामले में संज्ञान ले लिया। इतना ही नहीं पुलिस ने इस मामले को बंद करने की मांग करते हुए रिपोर्ट दायर की थी। परंतु दंडाधिकारी कोर्ट ने उसे खारिज करते हुए समन जारी कर दिए। इसलिए द्वारका पुलिस थाने में दर्ज इस मामले व समन के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए।