जयपुर. सत्ता में टिके रहने के लिए कांग्रेस (Congress) भी अब साधु संतों की शरण में हैं. उपचुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद अब मंत्री विधायकों के घरों पर संतों के दर्शन होने लगे हैं. संतों (Saints) के सम्मान में कांग्रेस 2023 की जीत का आशीर्वाद ढूंढने लगी हैं. बीजेपी को कांग्रेस का भगवा दांव रास नहीं आ रहा है. पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा का कहना है कि साधु संतों का आशीर्वाद हमेशा से कांग्रेस के साथ रहा है. बीजेपी समाज को इस बारे में बेवजह गुमराह करती है. धर्मेन्द्र राठौड़ से लेकर प्रतापसिंह खाचरियावास तक ने बीजेपी को संत समाज के साथ रिश्तों को लेकर जमकर कोसा है.दरअसल पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा के घर मंगलवार को संत प्रकाशनाथ का आगमन हुआ. संत प्रकाशनाथ आदिवासी इलाके के हैं. वे धोलासर खेड़ा में धूणा रमाते हैं. उन्होंने कांग्रेस को उपचुनाव में विजय का आशीर्वाद दिया था. अब जब पार्टी चुनाव जीत गई तो युवा संत को साथ लेकर दोनों विधायक गोविंद डोटासरा के आवास पहुंचे. डोटासरा ने सनातन परंपरा से साधु का सम्मान किया. जीत का आशीर्वाद बनाये रखने की प्रार्थना की.
अब हालात बदले बदले से हैं
देश की राजनीति में संतों के अलग अलग किरदार हैं. बीजेपी बड़े बड़े संतों को राजनीति में लाई. उन्हें विधायक सांसद से लेकर मंत्री मुख्यमंत्री तक बनाया. कांग्रेस इस मामले में थोड़ा पीछे रही. बहुसंख्यक हिंदू समाज में इसका नुकसान भी उसे कई बार उठाना पड़ा. बीजेपी उसे भगवा और हिंदू विरोधी कहकर बदनाम करती रही. लेकिन अब हालात बदले बदले से हैं.
कांग्रेस के नेताओं के बीच आसन पर संत
डोटासरा के घर का नजारा चौंकाता है कि कैसे एक युवा संत कांग्रेस के नेताओं के बीच आसन जमाये बैठा है. कांग्रेस के इस बदले स्वरूप पर बीजेपी ने कड़ा एतराज जताया है. उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ बोले जिस पार्टी के नेता खुद को हिंदू तक नहीं मानते वो वोटों के लालच में साधुओं को लेकर घूम रहे हैं. कांग्रेस का दोहरा चरित्र सामने आ गया है.
वोटों की सियासत क्या क्या नहीं कराती
वोटों की सियासत क्या क्या नहीं कराती. वो मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा कराती है तो जीत के बाद नेताओं के दर पर संतों को खींच लाती है. चुनावी मजबूरियां ही हैं जो कांग्रेस जैसी पार्टी को संतों के बीच अपनी मौजूदगी का अहसास कराने के लिए मजबूर करती है. ताकि संतों का आशीर्वाद उसकी चुनावी राह को आसान बना सके. बीजेपी की भगवा ब्रिगेड से मुकाबले के लिए शायद अब कांग्रेस ने भी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलने का फैसला कर लिया है.