बीजिंग । चीन द्वारा बने अधिकतर सामनों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहते हैं। चीन की पुरानी नीति है, कि जिससे भी वहां व्यापारिक दृष्टिकोण के लिहाज से नजदीकियां बढ़ाता है,उस चूना जरूर लगाता है। चाहे वहां पाकिस्तान को बिना गारंटी वाले घटिया किस्म के ड्रोन देने की बात हो या फिर श्रीलंका को खराब खाद थमा देने की। ऐसा कोई सगा नहीं है,जिस ड्रैगन ने ठगा नहीं है। लेकिन ताजा मामला भारत के एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश से जुड़ा है। एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है, कि पिछले एक दशक में चीन से खरीदे गए युद्धपोतों और विमानों में कई तकनीकी खामियां मिली हैं। चाहे वहां चीन के एयर डिफेंस सिस्टम हो एयरक्राफ्ट हो या नेवल शिप हो सभी में कुछ न कुछ कमियां निकलकर आ रही बांग्लादेश की नेवी ने पिछले दस सालों में 2.59 बिलियन डॉलर चीन के सैन्य उपकरणों को खरीदने में खर्च कर दिए हैं। इसमें टाइप 053एच3 ब्रिगेड जिसे बांग्लादेश की नेवी को सौंपा गया था उसके फायर कंट्रोल सिस्टम में खराबी आ चुकी है।इसकारण हेलीकॉप्टरों को उन दोनों युद्धपोतों से ईंधन भरने में भी दिक्कत हो रही है।
चीनी प्रशिक्षण विमान डायमंड डीए-40 के कंट्रोल सिस्टम में भी दिक्कतें पाई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से खरीदा गया हल्का युद्धक विमान काराकोरम-6 अपने हथियारों के परिवहन और संचालन प्रणाली को ठीक से नहीं चला रहा था। बांग्लादेश वायु सेना के पास वर्तमान में तीन के-8 विमान हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से खरीदी गई कम दूरी की मिसाइल रोधी प्रणाली एफएम 90 इसकी बैटरी और अन्य घटकों के साथ गंभीर यांत्रिक समस्याओं के कारण लगभग अनुपयोगी हो गई है।
गौरतलब है कि लगभग एक दशक पहले बांग्लादेश में नौसेना और वायु सेना के आधुनिकीकरण पर काम शुरू हुआ था। उस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में 2014 में बांग्लादेश नौसेना ने चीन से दो टाइप 053 एच 2 (जिंगहेई 2 क्लास) फ्रिगेट खरीदे। बाद में दो और टाइप 053एच3 (जियानघु 3 क्लास) फ्रिगेट खरीदे गए। तब से चीन से दो टाइप 057 कार्वेट खरीदे गए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो 053 एच3 (जियानघु 3 क्लास) फ्रिगेट में फॉल्ट कंट्रोल सिस्टम होते हैं। हेलीकॉप्टरों को उन दोनों युद्धपोतों से ईंधन भरने में भी दिक्कत हो रही है। बांग्लादेश सेना के तकनीशियन समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि अभी इस मामले की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
बात दें कि चीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ने पाकिस्तान को तीन सशस्त्र ड्रोन जनवरी 2021 में दिए थे, जिन्हें पाकिस्तानी वायु सेना में शामिल किया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद इन ड्रोन में खराबी आ गई और अंतत: इन्हें वायु सेना के बेड़े से बाहर कर इनका इस्तेमाल बंद हो गया।