काबुल । तालिबान ने अगस्त में अफगानिस्तानपर कब्जा किया था। तब से देश के हालात तेजी से खराब होने लगे। मूलभूत सुविधाओं की कमी हो गई। जनता भूख से तड़प रही है। भोजन के लिए भूखा इंसान किसी भी हद को पार कर सकता है। अफगानिस्तान में एक मजबूर मां को अपने बाकी बच्चों की भूख मिटाने के लिए अपनी एक बच्ची को बेच दिया। एक अफगान व्यापारी ने बच्ची को 500 डॉलर यानी करीब 37 हजार रुपए में खरीदा। बच्ची को बेचने वाली मां कहती है मेरे बाकी बच्चे भूख से मर रहे थे। इसलिए हमें अपनी बच्ची को बेचना पड़ा। इसके लिए मुझे बहुत दुख है क्योंकि वह मेरी बच्ची है। काश मुझे मेरी बेटी को बेचना न पड़ता। बच्ची के पिता कूड़ा उठाने का काम करते हैं, लेकिन इससे उनकी कोई कमाई नहीं होती। उन्होंने बताया हम कई दिनों से भूखे हैं। हमारे घर में न आटा है, न तेल है। हमारे पास कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा मेरी बेटी नहीं जानती कि उसका भविष्य क्या होगा। मुझे नहीं पता कि वह इसे बारे में कैसे महसूस करेगी लेकिन मुझे यह करना पड़ा। मां ने बताया बच्ची की उम्र अभी कुछ ही महीनों की है। जब वह चलने लगेगी तो खरीदार उसे ले जाएगा। शख्स ने बच्ची को खरीदने के लिए लगभग 500 डॉलर का भुगतान किया है। इससे परिवार कुछ महीनों तक अपना खर्चा चला सकता है। खरीदार ने परिवार से कहा है कि बच्ची की शादी वह अपने लड़के से करेगा, लेकिन इस वादे पर कोई यकीन नहीं कर सकता।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में ऐसे कई परिवार हैं जिन्होंने अपने बच्चों को बेच दिया है या बेचने के लिए तैयार हैं। तालिबान राज में अफगानी महिलाएं शिक्षा और रोजगार का अधिकार मांग रही हैं। यूनाइटेड नेशंस से दखल देने की मांग कर रही हैं। तालिबान राज में सबसे बुरा हाल रोजगार को लेकर है। अफगानिस्तान में दफ्तरों पर ताले लग रहे हैं। बैंक बंद होने के कगार पर हैं। काबुल से कंधार तक लोग अपने घरों के टीवी, फ्रिज, पलंग, सोफा बेचकर गुजर बसर कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी बताया गया है कि अफगानिस्तान में लोग भुखमरी के कगार पर हैं। ऐसे में तालिबान सरकार ने भुखमरी से निपटने के लिए नई योजना शुरू की है। इसके तहत देश में कामगारों को मेहनताने के रूप में पैसे नहीं बल्कि गेहूं दिया जाएगा। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि काम के बदले अनाज की इस योजना के तहत अभी सिर्फ राजधानी काबुल में 40 हजार पुरुषों को काम दिया जाएगा। तालिबान के मुताबिक, काम के बदले अनाज योजना दो महीने चलेगी। इस दौरान 11,600 टन गेहूं तो सिर्फ राजधानी काबुल में बांटा जाएगा। हेरात, जलालाबाद, कंधार, मजार-ए-शरीफ और पोल-ए-खोमरी जिलों में 55,000 टन गेहूं बांटा जाएगा।