
लखनऊ। डॉ मोहम्मद अयूब के नेतृत्व वाली पीस पार्टी और मौलाना आमिर रशदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने हाथ मिला लिये हैं। दोनों दलों ने उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 से पहले संयुक्त लोकतांत्रिक गठबंधन का ऐलान किया। डॉ अयूब और मौलाना रशदी ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘सेक्युलर सियासी पार्टियां मुस्लिमों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल कर रही हैं। सेक्युलर पार्टियों की राज्य सरकारों ने मुस्लिम समुदाय के विकास और कल्याण के लिए कोई ठोस काम नहीं किया।’ इस गठबंधन ने सेक्युलर और मानवतावादी सरकार देने के दावे के साथ दावा किया कि सभी पार्टियों को चुनौती पेश करने की तैयारी है।
दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान दिया कि उनका गठबंधन जनता को सही मायने मे सेक्यूलर और भाईचारे की सरकार देगा। आज तक जितने भी राजनीतिक दलों ने सरकार बनाई, किसी ने धर्म के नाम पर भेद किया तो किसी ने वोटों का इस्तेमाल। कांग्रेस, सपा और बीजेपी, सबने एक विशेष वर्ग के लिए काम किया। दलितों और पिछड़े मुस्लिमों के साथ अन्याय ही होता रहा है। ‘ज़रूरी हो गया था कि ऐसा विकल्प तैयार किया जाये जो समाज के सभी तबकों के लिए काम करे इसलिए यूनाइटेड डेमोकेटिक अलाइंस बनाया है। हम मानववादी सरकार बनाएंगे।’ डॉ अयूब ने कहा, ‘ये गठबंधन तमाम पार्टियों के लिए चैलेंज होगा, जिन्होंने जन विरोधी कामों के अलावा कुछ नहीं किया। बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है, लॉ एंड आर्डर नहीं है और जो हक की आवाज़ उठाता है, उसे चुप करा दिया जाता है।’ वहीं, मौलाना रशदी ने कहा, ‘मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो रहा है इसलिए बीजेपी जीत रही है। सेक्यूलर दल मिलकर विकल्प बना रहे हैं, लेकिन हमारे इस गठबंधन में किसी के प्रति कोई द्वेष नहीं है।’ सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों से प्राथमिकता के साथ निपटने की घोषणा करते हुए इस गठबंधन ने चुनावी ताल ठोकी। पीस पार्टी पूर्वी यूपी के खास तौर से बुनकर समुदायों के बीच पैठ रखती है, जिसने 2012 के चुनाव में चार विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। वहीं, आरयूसी का आधार आज़मगढ़ के क्षेत्र में बताया जाता है।