चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन का जन्म महाराष्ट्र के पंढरपुर में 17 सितंबर 1915 को हुआ था। पढ़ाई के लिए वे पंढरपुर से इंदौर आ गए। यहां से शुरुआती पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए वो मुंबई चले गए। 1935 में उन्होंने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया।

फिल्म सिटी मुंबई में हुसैन का करियर भी फिल्मों के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग बनाने से शुरू हुआ। धीरे-धीरे हुसैन प्रसिद्धि पाने लगे। 1947 में बॉम्बे आर्ट सोसायटी की एग्जीबिशन में हुसैन की पेंटिंग ‘सुनहरा संसार’ प्रदर्शित की गई। इसके बाद जगह-जगह हुसैन की पेंटिंग की प्रदर्शनियां लगने लगीं।

1952 में पहली बार ज्यूरिख में उनके चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित की गई। ये विदेश में उनकी पहली प्रदर्शनी थी। इसके बाद भारत के साथ-साथ हुसैन विदेश में भी प्रसिद्ध होने लगे। 1991 में हुसैन को पद्म विभूषण से नवाजा गया। इससे पहले उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका था। भारत सरकार ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया।

विवादों से खूब रहा नाता
90 के दशक में हुसैन अपने करियर के पीक पर थे। उनकी एक पेंटिंग लाखों में बिकती थी, लेकिन इसी समय विवादों के साथ भी उनका नाम जुड़ गया। 1996 में ‘विचार मीमांसा’ नामक एक मैगजीन में हुसैन के बनाए कुछ चित्र छपे। मैगजीन ने इन चित्रों का शीर्षक दिया 'मकबूल फिदा हुसैन- पेंटर या कसाई'। इन चित्रों में अपमानजनक तौर पर हिन्दू देवी-देवताओं को दिखाया गया था। इसके विरोध में देशभर में हुसैन के खिलाफ प्रदर्शन हुए, FIR दर्ज हुई और उनके घर पर तोड़फोड़ भी की गई।

यहां से हुसैन और विवाद एक-दूसरे के पर्याय बन गए। 2004 में एम एफ हुसैन की मीनाक्षी नाम से फिल्म आई। इस फिल्म के एक गीत पर खासा विवाद हुआ। मुस्लिम संगठनों ने गीत के बोल को ईशनिंदा माना और फिल्म में से गीत को हटाने की मांग की।

कई बॉलीवुड एक्ट्रेसेस के थे दीवाने
माधुरी दीक्षित की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ देखने के बाद हुसैन उनके दीवाने हो गए थे। इस फिल्म को उन्होंने 73 बार देखा था। बाद में उन्होंने माधुरी को लेकर वर्ष 2000 में एक फिल्म 'गजगामिनी' भी बनाई थी, जो सुपर फ्लॉप रही। माधुरी के अलावा तब्बू, विद्या बालन, अमृता राव और अनुष्का शर्मा जैसी एक्ट्रेसेस के भी हुसैन बड़े फैन थे।