चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने लगाया था। चंद्रयान-2 ने इसकी पुष्टि कर दी है। चंद्रयान-2 उपग्रह ने चंद्रमा की कक्षा में दो साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान उसने न सिर्फ चंद्रयान-1 से मिली जानकारियों की पुष्टि की है। चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 अब तक 9,000 से अधिक परिक्रमा लगा चुका है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक कार्यशाला में यह जानकारी दी है। कार्यशाला के जरिए चंद्रयान-2 से मिले आंकड़े और जानकारियां वैज्ञानिकों को मुहैया कराई जा रही हैं। कार्यशाला में इसरो के प्रमुख के सिवन ने बताया, ‘चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर यह उपग्रह घूम रहा है। इसके आठ पे-लोड (उपग्रह के साथ लगे मुख्य उपकरण) सुदूर-संवेदी पड़ताल के साथ मौका-मुआयना भी कर रहे हैं।’
चंद्रमा पर पानी की पुष्टि से जुड़ा शोध साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ
साइंस जर्नल में हालिया प्रकाशित शोध के मुताबिक, चंद्रयान-2 से मिले प्रारंभिक डाटा के विश्लेषण चंद्रमा पर व्यापक रूप से पानी की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। यह डाटा 29 डिग्री उत्तर से लेकर 62 डिग्री उत्तर के बीच हाइड्रोक्साइड व पानी की स्पष्ट पहचान को दर्शाता है। इससे यह भी पता चल रहा है कि चंद्रमा की ऊंची सतह वाले स्थानों पर हाइड्रोक्सिल या संभवत: पानी के अणु अधिक मात्रा में हैं।
इस शोध पत्र के लेखकों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के विज्ञानियों की टीम प्रमुख है। उनके अलावा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, यूआर राव सैटेलाइट सेंटर व इसरो के पूर्व चेयरमैन एएस किरण कुमार भी इसमें शामिल हैं।