
कोलकाता । सुप्रीम कोर्ट के पास पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति में ‘स्वायत्ता की मांग लेकर पहुंची बंगाल सरकार को राहत नहीं मिली है।अदालत ने गुरुवार को नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि उनके पुराने आदेश में संशोधन की कोई जरूरत नहीं है। एपेक्स कोर्ट के पुराने फैसलों के मुताबिक, पुलिस के शीर्ष पद पर नियुक्ति का फैसला राज्य सरकार यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के साथ सलाह कर के लेती है।
ममता सरकार ने शीर्ष अदालत में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर याचिका दायर की थी।सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर राज्य सरकार को बार-बार इस तरह की याचिका दाखिल नहीं करने की सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि इससे पहले भी आपकी पिटीशन खारिज हो चुकी है।वहीं, न्यायालय ने बंगाल सरकार से कहा है कि पुराने आदेशों में संशोधन की कोई भी जरूरत नहीं है।शीर्ष अदालत में दायर याचिका में राज्य सरकार ने कहा था कि यूपीएससी के पास किसी राज्य का डीजीपी नियुक्त करने का न अधिकार क्षेत्र और न ही विशेषज्ञता।यूपीएससी और बंगाल सरकार के बीच पुलिस के शीर्ष पद पर नियुक्ति को लेकर तनाव जारी है। बीते दो महीनों में राज्य सरकार और केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन यूपीएससी के बीच कई पत्रों का आदान प्रदान हुआ है।
यूपीएससी ने राज्य सरकार की तरफ से पद के लिए प्रस्तावित नामों में विसंगतियों की बात कही थी। सूची में सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोज मालवीय का नाम शामिल था।मंगलवार को ही ममता सरकार ने मालवीय को बंगाल का कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया था।हालांकि, राज्य में डीजीपी की नियुक्ति को लेकर पहली बार तनाव शुरू नहीं हुआ है।इसतरह के कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी दखल दे चुका है। साल 2006 में शीर्ष अदालत ने प्रकाश सिंह मामले में बड़ा फैसला सुनाया था।इसमें कहा गया था कि यूपीएसी की तरफ से सूचीबद्ध किए गए अधिकारियों में से राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति करेगी। इसके 12 साल बाद 2018 में कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया में यूपीएससी के शामिल होने की बात को बरकरार रखा था।