
भोपाल । राजधानी के आसपास के जंगलों में बाघों की निगरानी के लिए हाथी की जरुरत है लेकिन वन्यप्राणी विभाग को हाथी नहीं मिलने से बाघों की निगरानी नहीं हो पा रही है। सूत्रों की माने तो भोपाल के जंगलों में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन दिक्कत यह है कि इनकी निगरानी के लिए हाथी नहीं मिल रहे हैं। फिलहाल तो हाथी लाने के प्रयास भी शिथिल है। जंगल में 20 से अधिक बाघों की आवाजाही के प्रमाण मिल चुके हैं। डेढ़ साल पहले बाघिन टी-1232 ने दो शावकों को जन्म दिया था, जो डेढ़-दो साल में वयस्क हो जाएंगे। जानकारों का कहना है कि इन बाघों पर नजर रखने के लिए हाथियों की सख्त जरूरत है। खासकर जिस तरह से भोपाल के आसपास बाघों का कुनबा बढ़ रहा है, यदि बाघ जंगल से बाहर निकले तो उन्हें तुरंत अंदर खदेड़ना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि हर तरफ आबादी है। ऐसे में इंसानो और बाघों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ सकती हैं। तब हाथियों का होना सबसे ज्यादा जरूरी होगा, ऐनवक्त पर दूसरी जगह से हाथी नहीं लगा सकेंगे। शिफ्टिंग में समय लगेगा। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए भोपाल सामान्य वन मंडल के पास पूर्व से हाथी होने चाहिए। बता दें कि भोपाल का समरधा, बैरसिया का जंगल सीधे रातापानी वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा है। इस अभयारण्य में बाघों की अच्छी-खासी संख्या है। यहां तेंदुए भी रहते हैं। इन्हीं में से कुछ बाघ भोपाल से सटे कलियासोत, मेंडोरा, कोलार, चिचली, 13 शटर गेट, बुल मदर फार्म, दानिश हिल्स पहाड़ी के आसपास के वाले जंगल में आते हैं। शिकार करने के बाद लौट जाते हैं। जबकि बाघ टी-1 व बाघिन टी-2 ने इन्हीं जंगलों में शावकों को जन्म भी दिया था, जो पहले ही वयस्क हो चुके थे। इनमें से वयस्क हो चुकी मादाएं तो दो-दो बार प्रजनन कर कुनबा बढ़ा चुकी है। इस तरह भोपाल के जंगल में जन्में और रातापानी वन्यजीव अभयारण्य से आने वाले बाघों को मिलाकर संख्या 20 से अधिक है। यह आंकड़ा भोपाल सामान्य वन मंडल के रिकार्ड में दर्ज है। वन विभाग का स्थानीय अमला इनकी निगरानी में लगाया गया है। चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है। भोपाल के जंगल में केरवा चौकी के पास एक स्थायी वॉच टॉवर लगाया है, जिस पर उच्च क्षमता वाले कैमरे हैं जो 6 से 12 किलोमीटर की दूरी तक जंगल में होने वाली गतिविधियों को रिकार्ड करते हैं। खासकर ये कैमरे जंगल के भीतर से शहर की तरफ आने वाले बाघों पर भी नजर रखते हैं, ताकि अमला सतर्क रह सके। वन्यप्राणी विशेषज्ञ आरके दीक्षित और डॉ. सुदेश बाघमारे कहते हैं कि हाथी होने से भोपाल सामान्य वन मंडल की आधी चिंता दूर हो जाएगी। इस संबंध में वन्यप्राणी विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक आलोक कुमार कहते हैं कि हाथी लाने की कोशिशें फिर से शुरू करेंगे। अकेले भोपाल को ही नहीं, प्रदेश के दूसरे रिजर्व व सामान्य जंगलों को भी हाथी की जरूरत है।