
जबलपुर कोरोना के बाद जबलपुर में डेंगू से हाहाकार मचा हुआ है। आलम ये है कि विक्टोरिया-मेडिकल सहित निजी अस्पताल फुल हो गए हैं। सरकारी रिकॉर्ड में भले ही 205 मामले दर्ज हैं, लेकिन रांझी, अधारताल, महाराजपुर, उजारपुरवा, गढ़ा, गोकलपुर, घमापुर सहित दर्जन भर क्षेत्रों में हर घर में कोई न कोई बीमार है। विक्टोरिया में तो फर्श पर बिस्तर डालकर मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है। ऊपर से मुश्किल ये है कि शहर में SDP किट खत्म हो गई है।
डेंगू के कहर के बीच अस्पताल संचालकों की लूट भी शुरू हो गई है। 50 हजार प्लेटलेट्स होते ही अस्पताल संचालक मरीजों के परिजनों को डरा कर प्लेटलेट्स लाने का दबाव डाल रहे हैं। आलम ये है कि शहर के ब्लड बैंकों में अफरा-तफरी का आलम है। वहां प्लेटलेट्स के लिए जरूरी SDP किट का ही टोटा पड़ गया है। प्लेटलेट्स के लिए डोनर की जैसे-तैसे परिजन व्यवस्था कर ब्लड बैंक पहुंचते हैं तो वहां SDP किट ही नहीं होती। ब्लड बैंकों में SDP किट के लिए नंबर लगाने पड़ रहे हैं, जो चंद घंटों में ही समाप्त हो जा रही है।
हालात बिगड़ने के बाद जागा हेल्थ विभाग
शहर में डेंगू मच्छरों के डंक और निजी अस्पतालों की लूट के बाद मची अफरा-तफरी पर हेल्थ विभाग जागा है। स्वास्थ्य विभाग ने ब्लड बैंकों को साफ हिदायत दी है कि जरुरतमंद मरीजों तक ही SDP की पहुंच सुनिश्चित कराएं। 20 हजार से कम काउंट वाले मरीजों (रक्तस्त्राव सहित अन्य समस्या को छोड़कर) के लिए ही प्लेटलेट्स दें।
अस्पतालों की ओर से मरीज को प्लेटलेट्स की जरुरत बताएं जाने पर संबंधित मरीज के ताजा प्लेटलेट्स काउंट की रिपोर्ट भी लगाना अनिवार्य कर दिया है। ब्लड बैंकों को निर्देशित किया है कि वे 20 हजार से ज्यादा प्लेटलेट्स काउंट वाले मरीजों के लिए SDP/PRP की मांग करने वाले संबंधित अस्पताल से संपर्क करें। अस्पताल की ओर से बताएं गए विशेष कारण की जानकारी से हेल्थ विभाग को भी रोज अवगत कराएं।
SDP/PRP लिखें
शहर में मेडिकल और एल्गिन अस्पताल के अलावा शहर में एक ही निजी ब्लड बैंक में SDP की सुविधा है। डेंगू बढ़ने के साथ ही निजी अस्पतालों की ओर से लगातार मरीजों के लिए सिंगल डोनर प्लेटलेट्स (SDP) लाने का दबाव बनाया जा रहा है। कई गुना अधिक मांग बढ़ने पर SDP किट की कमी हो गई है। इससे निपटने के लिए हेल्थ विभाग ने निजी अस्पतालों का प्लेटलेट्स की जरुरत को लेकर पत्र जारी करते समय उसमें SDP/PRP लिखने के निर्देश दिए हैं, जिससे मरीज के परिजन प्लेटलेट्स के लिए ना भटकें। SDP ना होने पर PRP देकर मरीजों का इलाज किया जा सकता है। PRP की सुविधा पांच ब्लड बैंक में है। इसका शुल्क भी काफी कम है।
20 हजार काउंट की सीमा तय की
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी अस्पतालों और ब्लड बैंक को जारी किए गए आदेश में विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन का हवाला दिया गया है, जिसमें 10 हजार से कम प्लेटलेट्स काउंट पर ही मरीज के ब्लड टांसफ्यूजन की बात कही गई है, हालांकि मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने WHO की गाइडलाइन से दोगुनी प्लेटलेट्स की संख्या शहर में डेंगू मरीजों के उपचार को लेकर तय की है।
विक्टोरिया-मेडिकल में 150 से अधिक मरीज
डेंगू और इससे मिलते-जुलते असर वाले मरीजों से जिला अस्पताल विक्टोरिया और मेडिकल कॉलेज पैक हो चुके हैं। बुखार से पीड़ित मरीजों में सर्वाधिक संख्या डेंगू के लक्षण वाले मिल रहे हैं। मरीजों के बढ़ने के साथ ही बिस्तर की मारामारी शुरू हो गई है। विक्टोरिया में मरीजों का दबाव बढ़ा तो वहां फर्श पर बेड डालकर इलाज किया जा रहा है। बड़ी संख्या में ऐसे भी डेंगू के मरीज हैं, जो घर पर ही रहकर इलाज करा रहे हैं। रांझी, राधाकृष्णन वार्ड, अधारताल, गढ़ा व गौर में डेंगू के नए मरीज दवा दुकानों से सीधे दवा खरीदकर इलाज करा रहे हैं, इससे खतरा और बढ़ गया है।
पांच लीटर पानी का करें सेवन
डेंगू के संक्रमण के बीच निजी अस्पताल में पदस्थ डॉ. शैलेंद्र राजपूत ने बताया कि डेंगू ग्रस्त मरीजों को घबराने की जरूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के हिसाब से प्लेटलेट्स की मात्रा 10 हजार से कम होने या रक्तस्त्राव की स्थिति में ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
डेंगू पीड़ित मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। इस दौरान काढ़ा आदि से बचना चाहिए। इसका उपयोग करने से डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है, जो जानलेवा साबित होता है। वहीं ओवर द काउंटर दवाएं खरीदने की बजाए डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें। आकस्मिक स्थिति में सिर्फ पैरासिटामोल खरीदना चाहिए।