
भोपाल । प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना में प्रदेश में हुए करोड़ों की हेराफेरी मामले में दोषी इंजीनियरों से अब तक वसूली नहीं हो पाई है। इस मामले की जांच का दायरा दो जिलों से बढ़कर लगभग एक दर्जन जिलों तक बढ़ाया गया, लेकिन जांच रिपोर्ट भी मात्र दो जिलों की ही आई। मामले में डेढ़ साल पहले हुई जांच के बाद नौ इंजीनियरों से 12 करोड़ रुपये की रिकवरी के आदेश दिए गए थे, लेकिन यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। सरकार ने ठेकेदारों के 150 करोड़ के भुगतान भी रोके थे, पर कई जिलों में भुगतान कर देने की सूचना है। जांच में पाया गया था कि डिंडौरी और मंडला में दीनदयाल योजना के पुराने ट्रांसफार्मर को निकालकर सौभाग्य योजना में लगा दिया गया। डिंडौरी जिले के एक गांव में सौभाग्य योजना के तहत बिछाई गई लाइन पहली बारिश में ही धराशायी हो गई। कई गांवों में योजना के खंभे और ट्रांसफार्मर बारिश के कारण गिर गए थे। जांच में पता चला कि खंभे (पोल) लगाने में कांक्रीट का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। मालूम हो, मंडला और डिंडौरी जिले के दो अधीक्षण यंत्री सहित नौ इंजीनियरों को सौभाग्य योजना में विद्युतीकरण के काम में करोड़ों की गड़बड़ी करने का दोषी पाया गया है। जुलाई 2019-20 में 12 इंजीनियरों की टीम बनाकर गांव-गांव और जंगल-जंगल भेजकर भौतिक सत्यापन कराया गया तो कहानी कुछ और ही निकली। रिपोर्ट में पता चलता है कि जितने काम का दावा किया गया, उतना काम हुआ ही नहीं। कहां-कहां ट्रांसफार्मर लगाए गए, उसका ब्योरा भी नहीं मिला। इस गड़बड़ी के लिए सरकार ने मंडला के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री टीके मिश्रा और अधीक्षण यंत्री डिंडौरी अशोक निकोसे को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने मंडला-डिंडौरी और सीधी-सिंगरौली जिले में सौभाग्य योजना के तहत लाइन बिछाने के मामले में जिन इंजीनियरों को गड़बड़ी का दोषी पाया है, उन्हें लगभग एक साल पहले आरोप पत्र दिया गया था। उनके खिलाफ विभागीय जांच कर वसूली का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब तक मामला ठंडे बस्ते में है। विद्युतीकरण योजना के तहत दो लाख रुपये तक के कार्य ई-टेंडर के माध्यम से कराए जाने का नियम है। इस नियम को शिथिल कर राज्य सरकार ने सौभाग्य योजना के पांच लाख रुपये तक के काम आफलाइन टेंडर से कराए जाने की अनुमति दी थी, पर अधीक्षण यंत्री के स्तर पर 25 लाख रुपये तक के काम को पांच-पांच लाख रुपये में बांटकर खास ठेकेदारों को उपकृत किया गया। इस बारे में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि मामले की संपूर्ण जांच के परिणाम जल्द ही आने वाले हैं। दोशियों को बख्शा नहीं जाएगा।