कोलकाता । राजनीति में ना दुश्मन है और ना ही दोस्त, राजनीति में बनते-बिगड़ते समीकरणों के बीच दोस्ती और दुश्मनी भी बनती-बिगड़ती रहती है। पश्चिम बंगाल में फिर से सत्ता में वापसी के बाद ममता बनर्जी सियासी समीकरणों को अपने पक्ष में साधने की कोशिश में जुट गई हैं। हाल में ही बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को ममता बनर्जी की ओर से चाय पर आमंत्रण मिला। भले ही यह औपचारिक राजनीतिक मुलाकात हो सकती है, लेकिन बंगाल की राजनीति को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया हैं। विश्लेषकों का दावा है कि ममता अब भाजपा की राह पर निकल चुकी हैं। जिस तरह विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा तृणमूल कांग्रेस को तोड़ने में जुटी थी, वहीं काम ममता बनर्जी करने की कोशिश में हैं।ममता भाजपा को बांटने की कवायद में जुट गई हैं। पहले मुकुल रॉय को पार्टी में वापस लिया, अब उनकी नजर दिलीप घोष पर है।
दरअसल, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ममता ने एक चाय पार्टी रखी थी। चाय पार्टी में भाजपा नेता दिलीप घोष, तथागत रॉय और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी भी मौजूद थे। इसी दौरान ममता बनर्जी ने दिलीप घोष को राज्य सचिवालय में चाय पर आमंत्रण दिया।साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से दिलीप घोष को काली पूजा का न्यौता भी दिया गया। दिलीप घोष ने भी ममता का आमंत्रण स्वीकार किया, इसके बाद बंगाल भाजपा में इस लेकर खूब चर्चा है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में दिलीप घोष भाजपा का मजबूत चेहरा माने जाते हैं।घोष के अलावा मुकुल रॉय और बाबुल सुप्रियो भी बंगाल भाजपा के कद्दावर नेताओं में से थे। लेकिन मुकुल रॉय अपनी पुरानी पार्टी में लौट चुके हैं,वहीं बाबुल सुप्रियो ने भाजपा से अगल हो चुके है। विधानसभा चुनाव के बाद कई भाजपा नेता तृणमूल में शामिल हो गए थे। दिलीप घोष के समर्थक उन्हें बंगाल में भाजपा को फिर से जीवित करने का श्रेय देते हैं। हाल में ही शुभेंदु अधिकारी को विपक्ष का नेता नियुक्त करने पर मुकुल रॉय नाराज हो गए थे और माना जा रहा है कि दिलीप घोष भी पार्टी के कदम से नाराज हैं।