
भोपाल। 2019 में सीधी भर्तियों पर लगाई गई रोक सरकार ने हटा तो ली है। अब सभी शासकीय विभाग रिक्त पदों में से 5 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती कर सकेंगे, लेकिन इस भर्ती आदेश में सरकार ने ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर केवल 14 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने के आदेश भी दिए हैं। इस आदेश से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का यह दावा पुनः गलत सिद्ध हुआ कि ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण हर हाल में दिया जाएगा।
प्रदेश कांगे्रस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि वैसे यह घटना पहली बार नहीं है, भारतीय जनता पार्टी ओबीसी के आरक्षण की प्रारंभ से ही विरोधी रही है। जब 1980 में मंडल कमीशन लागू हुआ तब उसके विरोध में रथ यात्रा निकालकर मंडल आयोग की सिफारिशों के विरोध में मंडल कमंडल का भद्दा जुमला उछाला और देश की 52 प्रतिशत से अधिक आबादी को मंडल कमीशन के माध्यम से दिए जाने वाले आरक्षण को मजाक का विषय बनाया। भाजपा नें अपने समर्थकों के माध्यम से आरक्षण को न्यायालय में चैलेंज करवाया। किन्तु इसके बावजूद उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण स्वीकार होने के बाद आरक्षण को लागू करने में अनेकों बाधाएं डलवाई गईं।
गुप्ता ने कहा कि जहां तक मप्र में ओबीसी के आरक्षण की बात है तो कांग्रेस पार्टी ने ही आगे बढ़कर ओबीसी के आरक्षण को लागू कराने और उसे क्रियान्वित कराने की हर संभव कोशिश की है। तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने ओबीसी को आरक्षण दिलानें हेतु प्रदेश में महाजन आयोग का गठन किया तथा ओबीसी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना चालू की। बाद में 1994 में कांगे्रस पार्टी के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी ने ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण लागू कराया तथा उन्होंने ही 2003 में ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने का कानून पास कराया । वर्ष 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई। ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण उच्च न्यायालय में चैलेंज हुआ, जिसमें न्यायालय ने बढ़े हुए 13 प्रतिशत आरक्षण पर स्थगन आदेश जारी कर दिया। बाद में यह याचिका 11 वर्ष 2014 तक उच्च न्यायालय में चली। इस अवधि 2003 से 2014 तक भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार रही। किन्तु भाजपा सरकार की ओर से न्यायालय में लंबित याचिका में न तो विधिवत जवाब प्रस्तुत किया गय न ही तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की गई और न ही पक्ष में समर्थन ही किय गया जिस कारण 2014 में उच्च न्यायालय द्वारा ओबीसी का बढ़ा हुआ 13 प्रतिशत आरक्षण रद्द कर दिया या। इसके बाद 2014 से 2018 तक मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ओबीसी के आरक्षण के बारे में चुप्पी साधे रही। जब 2019 में कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांÛ्रेस पार्टी की सरकार बनी तो मार्च 2019 में पुनः ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया Ûया। इस बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं न्यायालय में लोगों द्वारा लगाई गईं।
भारतीय जनता पार्टी ने षड्यंत्रपूर्वक विधायकों को प्रलोभन देकर कमलनाथ जी की कांगे्रस सरकार गिरा दी और भाजपा पुनः सत्ता में आ गई, किंतु भाजपा द्वारा आरक्षण के पक्ष में समर्थन करने के बजाए न्यायालय में अपने महाधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 18-8-20 को बढ़ा हुआ 13 प्रतिशत आरक्षण होल्ड पर रखे जाने तथा ओबीसी को केवल 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का अभिमत दिलवाया। इसके अलावा याचिका क्र0 5901/2019 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डिप्टी डायरेक्टर दिनेश सिंघई के माध्यम से ओबीसी का बढ़ा हुआ 13 प्रतिशत आरक्षण होल्ड पर रखकर केवल 14 प्रतिशत आरक्षण देकर नियुक्ति करनें की अनुमति देने का आवेदन दिलवाया। जिसे स्वीकार कर उच्चन्यायालय नें 13-7-2021 को ओबीसी के 13 प्रतिशत पद न्यायालय के अंतिम निर्णय के अधीन होल्ड पर रखने का आदेश जारी कर दिया। तब कांगे्रस पार्टी ने कमलनाथ जी के नेतृत्व में विधानसभा में ध्यानाकर्षण और स्थगन सूचना के माध्यम से ओबीसी आरक्षण में भाजपा द्वारा जानबूझ कर बाधा डालनें के इस मुद्दे को विधान सभा के भीतर ध्यानाकर्षण सूचनाएं एवं स्थगत प्रस्ताव लाकर जोरदार तरीके से उठाया और विधानसभा प्रांगण में समस्त विधायकों ने काले एप्रिन पहनकर ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के समर्थन में प्रदर्शन भी किया। इन सब कार्यवाहियों के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लगातार यह दावा करते रहे कि वह ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में हैं और कांग्रेस के लगाए गए आरोपों को नकारते रहे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अभी कई बैठकें लेकर अखबारों में समाचार प्रकाशित कराया कि शिवराज सिंह और उनकी सरकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है किंतु आज सीधी भर्ती की रोक हटाने तथा ओबीसी को मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश का यह समाचार इस बात की पुष्टि करता है कि भाजपा आरक्षण के मुद्दे पर मौखिक रूप से समर्थन का दावा करती है किंतु वास्तविक कार्यवाही में ओबीसी की पीठ में छुरा भोंकने का काम करती है। पूरे प्रदेश के ओबीसी समाज को यह समझना होगा कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोहरी नीति अपना कर उन्हें उनके साथ धोखा कर रही है। कांगे्रस पार्टी भाजपा की इस दोमुंही नीति का विरोध करती है। जब स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य किसी प्रकार की नियुक्ति में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर कोई रोक किसी न्यायालय से नही है तो सभी विभागों में ओबीसी को केवल 14 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश क्यों जारी किया Ûया क्या यह ओबीसी के अधिकारों का हनन नही है। कांगे्रस पार्टी ओबीसी के आरक्षण का पूर्ण समर्थन करती है। पूरी ताकत से इस मुद्दे को उठाकर 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने का संकल्प व्यक्त करती है।