
नई दिल्ली । दिल्ली के आकाश अस्पताल में भर्ती हुए भिवानी (हरियाणा) निवासी रोहताश (58) के घुटने की सर्जरी रोबोट की सहायता से की गई। वह 2 घंटे बाद ही चलने लगे। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि यह घुटने के प्रत्यारोपण की उत्तर भारत की पहली रोबोटिक सर्जरी है। सेना में सूबेदार रह चुके रोहताश को 5 साल से घुटने में तेज दर्द होता था। समस्या के बढ़ने के बाद उन्हें हरियाणा से आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में रेफर किया था। अस्पताल के ज्वाइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक डॉक्टर आशीष चौधरी का कहना है कि इस ऑपरेशन के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई थी। इसके बाद रोबोट की सहायता से सर्जरी की गई।
रोबोटिक सर्जरी की वजह से घुटने के अधिकांश भाग को बिल्कुल समान बनाए रखने में मदद मिली। डॉक्टरों ने बहुत कम समय में रोबोटिक पेटेलोफेमोरल ज्वाइंट (पीएफजे) रिप्लेसमेंट सर्जरी की। इसका सबसे बड़ा फायदा यह रहा कि मरीज के पूरे घुटने के प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं पड़ी। घुटने के जोड़ में तीन भाग होते हैं। इस जोड़ में एक आंतरिक (बीच का मीडियल) और एक बाहरी (लेटरल) कम्पार्टमेंट होता है। नीकैप (पेटेला के रूप में जाना जाता है, जिस भाग में रोगी को अर्थराइटिस हो रहा था), घुटने के जोड़ के सामने की रक्षा करता है और जांघ की हड्डी से जुड़कर तीसरा जोड़ बनाता है, जिसे पेटेलोफेमोरल कहा है। सर्जरी में पूरे घुटने के बजाय केवल क्षतिग्रस्त हिस्से को बदला गया। इस सर्जरी में काफी कम समय लगा। सामान्य ऑपरेशन में 1 से 2 घंटे लग जाते हैं, लेकिन रोबोटिक सर्जरी में केवल 40 मिनट लगी। इस प्रक्रिया में बहुत छोटा चीरा लगाया गया। सर्जरी के 2 घंटे बाद रोहताश चलने लगे थे।