नई दिल्ली । मार्च 2016 में लचीले हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) के लागू होने से भारत में खोजे गए ब्लॉकों की नीलामी के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। इसने उत्पादन साझेदारी दौर से राजस्व साझेदारी व्यवस्था में लाने का काम किया है। ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (ओएएलपी) ने संभावित निवेशकों को अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जमा करके अपनी पसंद के ब्लॉक तैयार करने की स्वतंत्रता की पेशकश की है। ईओआई विंडो साल भर खुली रहती है और निवेशकों को समय-समय पर बोली का दौर शुरू होने का इंतजार करना पड़ता है। तीन नीलामी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद, सरकार ने फरवरी 2019 में एचईएलपी के दायरे में और नीतिगत सुधारों को अधिसूचित किया। इसका उद्देश्य 'राजस्व' से 'उत्पादन' बढ़ाने की अधिकतम सीमा तक ले जाना था। इसके साथ ही अधिक पारदर्शिता और सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। निविदा चरण- VI आगे की संशोधित नीति और संशोधित मॉडल बोली दस्तावेजों के तहत किया जा रहा है। सरकार ने 14 जनवरी, 2020 को 19,789 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के 11 ईएंडपी ब्लॉकों के लिए ओएएलपी निविदा चरण-V लॉन्च किया और 17 नवंबर, 2020 को सभी ब्लॉकों को जीतने वाले बोलीदाताओं को आवंटन का काम पूरा किया था। कोविड-19 महामारी के बावजूद, बोली के काम को सफलतापूर्वक पूरा किया गया और बोलीदाताओं को ब्लॉक प्रदान किए गए।
30 जुलाई 2021 को नई दिल्ली में आयोजित ईएंडपी निवेशक बैठक में, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने घोषणा कि थी कि ओएएलपी निविदा चरण-VI जल्द ही शुरू किया जा रहा है और मजबूत भारतीय ऊर्जा विकास क्षेत्र में भाग लेने के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आमंत्रित किया गया।