
लखनऊ । बेकसूर मरीजों की जान जोखिम में डालने वाले एम्बुलेंस सेवा के कर्मचारियों के प्रति कंपनी ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। हड़ताल पर डटे एम्बुलेंस के कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्तगी की कार्रवाई तेज कर दी गई है। बुधवार को 570 ड्राइवर व ईएमटी को नौकरी से हटा दिया गया है। कंपनी ने सबसे पहले एम्बुलेंस संघ के पदाधिकारियों पर प्रहार किया है। सभी जिलों में संघ के पदाधिकारियों को नौकरी से हटा दिया गया है। अधिकारियों ने गुरुवार से एम्बुलेंस का संचालन सामान्य होने का दावा किया है। इस बीच एम्बुलेंस हड़ताल से प्रदेश में बुधवार को सीतापुर में एक महिला मरीज की समय से इलाज न मिल पाने के कारण मौत हो गई। यूपी में सरकारी एम्बुलेंस का संचालन जीवीकेईएमआरआई कर रही है। 108 व 102 नम्बर पर फोन करने वाले जरूरतमंदों को मुफ्त एम्बुलेंस मुहैया कराई जाती है। प्रदेश में 102 सेवा की 2270 एम्बुलेंस हैं। 108 सेवा की 2200 एम्बुलेंस हैं। एडवांस लाइफ सपोर्ट की 250 एम्बुलेंस हैं। रोजाना 35 से 40 हजार जरूरतमंदों को एम्बुलेंस मुहैया कराई जाती है। लखनऊ में 108 की 44 एम्बुलेंस हैं। रोजाना 150 से ज्यादा गंभीर मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर जान बचाने में मदद की जा रही है। वहीं 102 की 34 एम्बुलेंस हैं। इसमें गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था है। प्रतिदिन 276 से 300 गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। प्रसव के बाद प्रसूताओं को घर पहुंचाने की जिम्मेदारी भी एम्बुलेंस की है। गुजरे सोमवार से जीवनदायिनी स्वास्थ्य विभाग 108-102 एम्बुलेंस संघ ने एम्बुलेंस का चक्का जाम करा दिया। इसकी वजह से हजारों मरीजों की जिंदगी दांव पर लग गई है। जोखिम भरा सफर तय कर गंभीर मरीज ऑटो-रिक्शा से अस्पताल पहुंचाए जा रहे हैं। गंभीर मरीजों की तड़प और आंसूओं से भी एम्बुलेंस कर्मचारियों का दिल नहीं पसीज रहा है। अभी तक एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) का संचालन जीवीके कर रही थी। शासन के निर्देश पर एएलएस के संचालन के लिए नया टेंडर निकाला गया। दूसरी कंपनी ने टेंडर जीता। इसके बाद एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने राजनीति शुरू कर दी। नौकरी से निकाले जाने की आशंका के मद्देनजर हंगामा, धरना और प्रदर्शन शुरू कर दिया। हड़ताल कर दी। जबकि नई कंपनी ने वरीयता के आधार पर नौकरी देने की बात कही थी। इसके बावजूद एम्बुलेंस के कर्मचारियों ने एम्बुलेंस का चक्का जाम कर दिया।