हरिद्वार। पहले सैलानियों की भीड़ से हुए कोरोना प्रेटकाल के उल्लंघन के मामलों के बाद उत्तराखंड में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान के लिए हज़ारों श्रद्धालु हरिद्वार के घाटों पर पहुंचे। हालांकि इससे पहले ज़िला प्रशासन ने दावा किया था कि इस मौके पर केवल सांकेतिक स्नान ही करवाया जाएगा और कोविड संबंधी सभी नियमों का पालन हो, यह सुनिश्चित किया जाएगा। खबरें आ रही हैं कि भारी भीड़ हर की पौड़ी समेत कई घाटों पर उमड़ी और न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सका और न ही निगेटिव रिपोर्ट कैरी करने का नियम पुख्ता चला।  सुरक्षा की दृष्टि से यह नियम है कि किसी भी श्रद्धालु को कोविड निगेटिव रिपोर्ट न होने पर प्रवेश न दिया जाए। यही नियम प्रशासन ने गुरु पूर्णिमा स्नान के लिए भी लागू किया और शनिवार को इसका सख्ती से पालन करवाए जाने का दावा किया था। लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
  ज़िला प्रशासन ने हिदायतों में कहा था कि सांकेतिक स्नान में सिर्फ श्री गंगा सभा और तीर्थ पुरोहित की भागीदारी को अनुमति होगी। अन्य श्रद्धालुओं को निगेटिव रिपोर्ट के बगैर अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन दावों के उलट भारी भीड़ गुरु पूर्णिमा पर हरिद्वार पहुंचकर स्नान किया और किसी नियम का पालन नहीं हुआ। वास्तव में हुआ ये कि कां​वड़ियों ने वाहनों से हरिद्वार की तरफ रुख किया तो श्यामपुर बॉर्डर से उनकी पांच गाड़ियों को एंट्री नहीं दी गई। एक खबर में कहा गया है कि नारसन, श्यामपुर, भगवानपुर और चिड़ियापुर की तरफ से आ रहे करीब 120 वाहनों को शुक्रवार को हरिद्वार में प्रवेश नहीं दिया गया। कांवड़ियों के प्रवेश को लेकर सख्ती बरती गई है और हरिद्वार प्रशासन ने बॉर्डर सील करने के दावे किए हैं। पहले ये भी खबरें आ चुकी हैं कि भेस बदलकर पर्यटकों के रूप में भी कांवड़िए हरिद्वार पहुंचने के रास्ते निकाल रहे हैं। ऐसे में रद्द की गई कांवड़ यात्रा को लेकर 25 जुलाई से किस तरह इंतज़ाम टिक सकेंगे, इसे लेकर चर्चा हो रही है। यह भी गौरतलब है कि सावन मास शुरू होने के चलते भी श्रद्धालु तीर्थों और नदियों की तरफ रुख कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के सामने आने वाले हफ्ते में भीड़ को काबू करना बड़ी चुनौती साबित होने वाली है।