जयपुर । राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर में बच्चे भी संक्रमण से नहीं बच सके। संक्रमण ने बच्चों को भी प्रभावित किया। हालांकि एसिम्प्टेमेटिक या हल्के लक्षणों के कारण बच्चों में कोरोना का पता नहीं चल पाया। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन दूसरी लहर में भी बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं। अभी बच्चों का पूरा आंकड़ा सामने आना बाकी है। जयपुर के जे.के लोन अस्पताल में पोस्ट कॉविड कॉम्प्लिकेशन के रुप में एमआईएससी के 70-80 मामले सामने आ चुके हैं। अलग-अलग लक्षणों के जरिए अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों में कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट हुए तब पता चला कि यह बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। चिकित्कसों ने बताया कि उल्टी, दस्त, खांसी-जुखाम होते ही कोविड 19 की जांच कराना जरुरी है। अगर समय पर बच्चों को इलाज मिल पाए तो एमआईएसी का खतरा कुछ कम हो सकता है। एमआईएससी बच्चों के सभी अंगों को प्रभावित करता है। इस बीच राजस्थान में ग्रामीण इलाकों में कोरोना की रोकथाम के लिए राजस्थान सरकार अब युद्ध स्तर पर तैयारी में जुट गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव और डोर-टू-डोर घूमकर और लोगों का कोविड टेस्ट करेगी।  गौरतलब है कि तीसरी लहर आने से पहले ही बच्चों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में बच्चों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव होने की आशंका जताई गई है। ऐसे में अब दौसा में 341 बच्चों के कोरोना की चपेट में आने से मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।