पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे सिद्धू की उनसे तल्खी खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस आलाकमान से सिद्धू की मुलाकातें सुर्खियों की वजह हैं।

जन्म- 20 अक्टूबर 1963 (पटियाला)
शिक्षा- एलएलबी, पंजाब यूनिवर्सिटी
परिवार- पत्नी- नवजोत कौर, बच्चे- करण और राबिया
संपत्ति- 45 करोड़ रुपए (शपथ पत्र के अनुसार)

नवजोत सिंह सिद्धू अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर अपना परिचय लिखते हैं- ‘मास्टर ऑफ ऑल ट्रेड्स, जैक ऑफ नन।’ मतलब हर विधा के महारथी! द कपिल शर्मा शो में कपिल भी उन पर अक्सर एक मजाकिया टिप्पणी करते थे कि सिद्धू जिस भी शहर में जाते हैं, वहां कुछ न कुछ काम करके या कमाकर जरूर आते हैं। इंग्लैंड में रहे तो कॉमेन्ट्री कर ली, दिल्ली में रहे तो राजनीति, मुंबई में तो एक्टिंग-कॉमेडी...। इन दिनों सिद्धू का दिल्ली दौरा खबरों में है। वह दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिले।

2017 में कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू अमृतसर पूर्व से विधायक हैं, लेकिन 2019 में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से खींचतान के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से तकरार बनी हुई है। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले सिद्धू को पंजाब कांग्रेस में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने की खबरें हैं।

57 वर्षीय सिद्धू का कॅरिअर सफलताओं के साथ-साथ विवादों से भी भरा रहा। 1996 में भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टन मो. अजहरुद्दीन से उनका विवाद भी काफी चर्चित है। क्रिकेट, क्रिकेट कॉमेन्ट्री, रिएलिटी-लाफ्टर शो और अब राजनीति में भी लगातार विवादों में हैं।
2004 में बीजेपी से जुड़े, 2017 में कांग्रेसी हो गए

सिद्धू 2004 में बीजेपी की टिकट से अमृतसर से लोकसभा चुनाव जीते। फिर 2007 उपचुनाव में भी जीते। 2009 के आम चुनावों में फिर से अमृतसर से जीते। 2014 से पहले अकाली दल के नेताओं के खिलाफ बोलना सिद्धू को भारी पड़ा और बीजेपी से टिकट नहीं मिली। इस बीच उनकी पंजाब में आम आदमी पार्टी से जुड़ने और अलग मोर्चा बनाने की खबरें भी आईं। कांग्रेस के मुखर आलोचक सिद्धू 2017 में कांग्रेस से जुड़े तब कहा कि पिता भी कांग्रेसी थे, ऐसे में कांग्रेस उनके खून में है।

बचपन में पिता ने बैट थमाया, विवेकानंद को पढ़कर जीवन बदला

पटियाला में जन्मे सिद्धू के पिता भगवंत सिंह चाहते थे कि सिद्धू क्रिकेट खेलें। सात साल की उम्र में उन्होंने ही बैट थमा दिया। यूनिवर्सिटी में गोल्ड मैडलिस्ट सिद्धू सेना में जाना चाहते थे, एनडीए परीक्षा भी पास कर ली थी। वह बताते हैं कि उनके पिता ने नियम बनाया था कि स्कूल जाने से पहले चार भाषा के अखबार पढ़ने होंगे। वह हैडलाइन पूछते। शाम को दूरदर्शन पर अंग्रेजी और हिंदी की न्यूज़ सुनना अनिवार्य था। सिद्धू बताते हैं कि बोलने की शैली उन्होंने समाचार सुनकर सीखी। कपिल देव बताते हैं कि सिद्धू बमुश्किल ही कुछ बोलते थे। सिद्धू कहते हैं कि 1999 में विवेकानंद को पढ़ने के बाद उनका जीवन बदल गया।

16 साल का क्रिकेट कॅरिअर, नाम मिला ‘सिक्सर सिद्धू’
सिद्धू ने 1983 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था। दो टेस्ट के बाद उन्हें टीम में जगह नहीं मिली। इस प्रदर्शन पर इंडियन एक्सप्रेस के एक पत्रकार ने लेख लिखा। सिद्धू को वो इतना चुभा कि उसकी कटिंग अपने साथ रखकर प्रैक्टिस करने लगे। अगले 4 साल उन्होंने खुद को भटकाव से बचाने रंगीन कपड़े तक नहीं पहने। प्रैक्टिस के दौरान रोज़ 300 छक्के लगाते। 1987 वर्ल्ड कप से वनडे में डेब्यू किया और पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 73 रन की पारी खेली। पारी में पांच छक्के और चार चौके लगाए। इसके बाद सिद्धू का नाम ‘सिक्सर सिद्धू’ पड़ गया। बाद में उसी पत्रकार ने सिद्धू की प्रशंसा में लेख लिखा।

रोडरेज का आरोप था, आईसीसी भी एकबार कॉमेंट्री से बैन कर चुका

सिद्धू पर 1988 में रोडरेज का आरोप था। हाईकोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने गैरइरादतन हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया था। 1996 में अजहरुद्दीन से विवाद के चलते इंग्लैंड दौरा छोड़कर आ गए थे। आरोप था कि अजहरुद्दीन उन्हें अपशब्द कह रहे थे। बांग्लादेशी खिलाड़ियों की आलोचना पर आईसीसी ने उन्हें कॉमेन्ट्री से बैन कर दिया था। करतापुर साहिब कॉरिडोर के शिलान्यास पर पाक सैन्य प्रमुख बाजवा से गले मिलने वाली तस्वीरें भी विवादों में रही थीं। पुलवामा अटैक पर टिप्पणी के चलते सिद्धू को कपिल शर्मा के शो से बाहर कर दिया गया था।