जबलपुर नर्मदा नदी बचाने के लिए पिछले 258 दिनों से अनशन कर रहे भैयाजी सरकार की हालत शुक्रवार को और खराब हो गई। शहर के निजी अस्पताल से उन्हें नागपुर रेफर किया जा रहा है। अनशन के कारण वे शारीरिक रूप से कमजोर हो गए हैं। वे नदी के 300 मीटर के दायरे में हो रहे अवैध निर्माण, उत्खनन को रोकने की मांग को लेकर अनशन कर रहे हैं।

शहर के निजी अस्पताल में कुछ दिनों से भर्ती भैयाजी सरकार की सेहत में सुधार के लिए लगाकार दवाएं दी गईं, लेकिन फायदा नहीं हो रहा है। इस कारण उन्हें रेफर किया जा रहा है। भैयाजी सरकार लगातार निराहार रहकर संकल्प को पूरा करने में जुटे हैं। नर्मदा मिशन के सदस्य एवं उनके सहयोग विशाल तिवारी और रंजीत के मुताबिक राज्य सरकार की संवदेनहीनता के कारण भैयाजी अनशन पर हैं। जल, जंगल जमीन बचाने के लिए वह आंदोलन कर रहे हैं। मां नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है। उसके कैचमेंट एरिया में निर्माण और उत्खनन से हम उनके अस्तित्व पर चोट पहुंचा रहे हैं। इसी को हटाने का तो उनका आंदोलन है।

हाईकोर्ट भी 300 मीटर के दायरे में लगा चुकी है रोक

हाईकोर्ट तक से राज्य सरकार को नर्मदा तट के 300 मीटर के दायरे में हो रहे निर्माण पर रोक लगाने का निर्देश मिल चुका है। पर आज तक इसका पालन नहीं किया गया। धड़ल्ले से मां नर्मदा के कैचमेंट एरिया में निर्माण सहित दूसरी गतिविधियां चालू हैं।

नर्मदा मिशन के संस्थापक हैं भैयाजी सरकार

जबलपुर से लेकर अमरकंटक और खंभात की खाड़ी तक वे आंदोलन का विस्तार कर चुके हैं। उन्होंने नर्मदा मिशन की स्थापना की है। नर्मदा किनारे पौधरोपण का भी उनका संगठन रिकॉर्ड बना चुका है। कई बड़े राजनीतिक लोग उनके शिष्यों में शामिल हैं। अब उनकी हालत बिगड़ने और चिंताजनक होने से समर्थकों में आक्रोश देखा जा रहा है।