
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जूनियर इंजीनियर की कोरोना से मौत के बाद उनके सर्विस बुक में दर्ज उनकी पत्नी को पेंशन तथा बेटे को नौकरी देने की प्रक्रिया चल रही थी कि एक और महिला ने भी उनकी पत्नी होने का दावा पेश कर दिया। दूसरी पत्नी के दावे से अधिकारी भी भौचक रह गए हैं। मामला उलझता देख फिलहाल निगम ने दोनों से आश्रित प्रकाण पत्र मांग लिया है और सभी प्रक्रियाएं पर रोक लगा दी है।
ग्रामीण वितरण खंड प्रथम के खुटहट क्षेत्र के अवर अभियंता प्रमोद कुमार पाल कोरोना संक्रमित हो गए थे। उनकी एक निजी हास्पिटल में इलाज के दौरान 8 मई को मौत हो गई थी। कारपोरेशन के निर्देश पर खंड के एक्सईएन ने रविवार के अवकाश के दिन दफ्तर खोलकर सर्विस बुक की जांच कराई। पाल के सर्विसबुक में दर्ज नामिनी उनकी पत्नी मंजू देवी के नाम अवकाश नगदीकरण व अनुग्रह धनराशि के मद में 7.27 लाख का चेक जारी कर दिया गया। इसके बाद खंड के एक्सईएन ने 24 मई को जीपीएफ की धनराशि 19.33 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से मंजू देवी के बैंक खाते में भेज दी। जेई के आश्रित बच्चे को नौकरी और पत्नी को पेंशन जारी करने की प्रक्रिया चल रही थी। इसी बीच जेई की दूसरी पत्नी के रूप में उषा देवी नामक महिला ने मुख्य अभियंता के कार्यालय में दावा दाखिल कर पेंशन व नौकरी के साथ अलग-अलग फंड के भुगतान की मांग की। हालांकि जेई ने सर्विस बुक से लगायत जीपीएफ फंड में नामिनी के तौर पर पत्नी मंजू देवी का नाम दर्ज करा रखा है। मृतक जेई की पत्नी का दावा करने वाली उषा ने कोर्ट में पंजीकृत शादी का प्रमाण पत्र भी अपने आवेदन पत्र के साथ दाखिल किया। उषा ने एक्सईएन को बताया कि उससे जेई ने कोर्ट में शादी की थी। हर महीने वह रहने व खाने का खर्च भी देते थे। कोरोना से मृत जेई पीके पाल के मामले में दो पक्षों के आने से मामला पेंचीदा हो गया है। पारिवारिक पेंशन व आश्रित बच्चे को कोटे में नौकरी देने का मामला उलझ गया है।