कोरोना महामारी के दौरान छोटे कारोबारियों का हाल बदतर होता जा रहा है। देशव्यापी सर्वे के मुताबिक पिछले साल करीब 3 चौथाई कारोबारियों ने कोई मुनाफा ही नहीं कमाया है। वहीं इन कारोबारियों के यहां काम कर रहे लोगों को बड़े पैमाने पर छंटनी का शिकार होना पड़ रहा है। कंसोर्सियम ऑफ इंडियन एसोसिएशन ने देश भर के 81 हजार स्वरोजगार और छोटे कारोबार से जुड़े लोगों से बातचीत की। इनमें मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस क्षेत्र से जुड़े कारोबारी और स्टार्टअप शामिल हैं।
सर्वे में लोगों से उनके कारोबार से जुड़ी मुश्किलों को लेकर 16 सवाल पूछे गए थे। जो जवाब मिले उनसे आकलन किया गया है कि 80 फीसद कारोबारियों का भरोसा मौजूद समय में डगमगा गया है। इनमें से 19 फीसद लोग अब कारोबार दोबारा शुरू करने की उम्मीद ही खो चुके हैं। 24 फीसद को कारोबार चलाने के लिए मदद की जरूरत है। इनमें महज 20 फीसद कारोबारी खुश हैं या फिर उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हालात अच्छे हो सकते हैं।
73 फीसद कारोबारियों को कोई मुनाफा नहीं
73 फीसद कारोबारियों ने पिछले वित्तवर्ष के दौरान कोई मुनफा नहीं कमाया है। बाकी 13 फीसद कारोरियों की लागत वसूल हुई है तो सिर्फ 14 फीसद ही मुनाफे में रहे। सबसे ज्यादा असर इन कारोबारियों के यहां नौकरी कर रहे लोगों पर पड़ रहा है। कोरोना के पहले के मुकाबले 59 फीसद कारोबारियों ने छंटनी की है। इनमें से पहली लहर में 37 और दूसरी लहर में 22 फीसद कर्मचारियों की छंटनी हुई है। इनमें से सिर्फ 19 फीसद ऐसे हैं जो छंटनी के मूड में नहीं हैं, जबकि बाकी बचे 22 फीसद छंटने पर अभी तय नहीं कर पाए हैं।
सरकारी मदद की पात्रता का संकट
सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से दी जा रही आर्थिक मदद का भी इन कारोबारियों को कोई फायदा नहीं पहुंच रहा है। सर्वे के मुताबिक 88 फीसद कारोबारियों को ये मदद नहीं मिली है। इसके पीछे वजह ये बताई जा रही है कि या तो ये उसके पात्रता के दायरे में नहीं रहे हैं या फिर आर्थिक राहत की शर्तें इतनी कठिन हैं को उन पर ये पूरे नहीं उतर रहे हैं। कारोबारियों का कहना है बैंक जिस सिबिल स्कोर और बाकी पैमाने पर क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत लोन दे रहे हैं वो उन पर खरे नहीं उतर रहे।
आंकड़ों की बात की जाए तो देश में करीब 6.30 करोड़ सूक्ष्म और लघु उद्योग कारोबारी हैं। साथ ही करीब चार करोड़ लोग स्वरोजगार से जुड़े हुए हैं। आर्थिक चक्र में इन कारोबारियों का बड़ी भूमिका होती है, लेकिन कोरोना में सबसे ज्यादा मुश्किलें इन्हें ही उठानी पड़ रही हैं। मौजूदा हालात में कारोबारियों ने सरकार मांग की है कि छोटे उद्यमों से जुड़े लोगों की ट्रेनिंग की व्यवस्था हो साथ ही कारोबारियों को कम समय के लिए कर्मचारी रखने की इजाजत दी जाए। वहीं पीएफ और ईएसआई से जुड़ी रकम में छूट की मांग करते हुए सरकार से कारोबारियों की मांग है कि वो मजदूरों का बड़े पैमाने पर हो रहा पलायन रोकने में दखल दे।