अहमदाबाद | जून को सातवें विश्व योग दिवस के अवसर पर भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी में प्रातःकाल 6 :30 बजे से एक योग कार्यशाला का आयोजन और 11:30  बजे से "शांति और स्वास्थ्य के लिए योग" विषय पर (ऑनलाइन) व्याख्यान का आयोजन किया गया।  कार्यशाला में डॉक्टर सोनाली मालवीय-योगाचार्य-ने अकादमी के सभी संकाय सदस्यों, उनके परिवारों और अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षु अधिकारियों को योगाभ्यास का महत्व बताते हुए उनको योगाभ्यास करवाया।  योगाचार्य डॉ सोनाली ने बताया कि नियमित योगाभ्यास (प्राणायाम एवं आसन) से अभ्यासी व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और वो ना ना प्रकार की बीमारियों से बचने और लड़ने में अधिक सक्षम हो जाता है जिसमें वर्तमान में चल रही कोविड  महामारी भी शामिल है।  उन्होंने 'भुजंगासन', 'उष्ट्रासन', पश्चिमोत्तान आसन, अनुलोम-विलोम प्राणायाम, भ्रस्त्रिका प्राणायाम आदि योगाभ्यास सभी अधिकारियों और उनके परिवारों को करवाए और सिखाये। ये पूरा कार्यक्रम कोविड महामारी सम्बन्धी नियमों (सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क आदि ) का पालन करते हुए एक पूरी तरह हवादार-वेन्टीलेटेड-स्थान पर किया गया। योग कार्यशाला के उपरान्त  11:30  बजे से "शांति और स्वास्थ्य के लिए योग" विषय पर (ऑनलाइन) व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान रामकृष्ण मिशन, राजकोट के अध्यक्ष स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ने ऑनलाइन-मोड में लिया। महानिदेशक भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, एस.पी.एस चौहान के स्वागत अभिभाषण के साथ इस व्याख्यान का प्रारम्भ  हुआ।  
इस विषय पर बोलते हुए भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी के महानिदेशक एसपीएस चौहान ने कहा " योग, भारतीय ज्ञान की पांच हजार वर्ष पुरानी विरासत है, जिसके प्रणेता महर्षि पतंजलि को माना जाता है. योग साधना में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित है| " उन्होंने आगे कहा "योग का अर्थ 'एकता' या 'बांधना' है। इस शब्द की जड़ है संस्कृत शब्द 'युज', जिसका मतलब है 'जुड़ना'। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना। व्यावहारिक स्तर पर, योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का एक साधन है। यह जीने का एक तरीका भी है और अपने आप में परम उद्देश्य भी।योग के माध्यम से मनुष्य प्रकृति से जुड़ता है। योग से मनुष्य की शारीरिक बीमारियाँ व मानसिक तनाव भी कम हो जाता हैं। COVID-19  महामारी ने लोगों में तनाव और चिंता को बढ़ा दिया है। रोग और आइसोलेशन न केवल रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि भावनात्मक स्वास्थ्य और यहां तक कि उसके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहे हैं। योग इस प्रकार के मुद्दों से निपटने में मदद करता है। यह हमें मनो-शारीरिक स्वास्थ्य, भावनात्मक सद्भाव बनाने में मदद करता है; और दैनिक तनाव और उसके परिणामों का प्रबंधन करता है।" उन्होंने आव्हान किया की सभी योग से जुड़े एवं संकल्प ले की नियमित रूप से इसका अभ्यास करेंगे ।
अपने  व्याख्यान में स्वामी निखिलेश्वरानंद जी ने 'योगाभ्यास' और 'योग' में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि 'योग' को महज़ एक 'व्यायाम' मानना एक बड़ी भूल है।  'योग' पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए  उन्होंने योग के विभिन्न मार्गों- राजयोग, भक्ति योग, कर्म योग, और ज्ञान योग-पर विस्तार पूर्वक चर्चा करी।  उन्होंने अष्टांग योग के विभिन्न अंगों-यम,नियम, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, धयान और समाधि पर प्रकाश डाला और ये भी बताया कि सांसारिक जीवन में रहते हुए कैसे इन चारों मार्गों के समन्वय से योग के मुख्य उद्देश्य-जीवात्मा द्वारा परमात्मा की प्राप्ति-के उद्देश्य को सिद्ध किया जा सकता है।  उन्होंने अपने वक्तव्य में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिखाए गए मार्ग और उनकी शिक्षा पर पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। यह व्याख्यान दो घंटे से ऊपर चला जिसमें 130 से अधिक अधिकारियों ने सहभागिता की और अनेकों प्रश्न पूछे।