
बिलासपुर । मस्तुरी पशु चिकित्सालय में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉ अग्निहोत्री द्वारा शासन के नियमो के विपरीत अपनी निजी क्लिनिक संचालित कर पशुओ का ईलाज कर रहे है वही विभाग द्वारा डॉ अग्निहोत्री को मुख्यालय में उपस्थित रहने प्रतिमाह एचआरए के रूप में मोटी रकम भी दी जा रही है जिसके बावजूद पशु चिकित्सक निजी क्लिनिक संचालित कर रहे है वही शासन द्वारा पशुओ के ईलाज के लिए मस्तुरी पशु चिकित्सालय के लिए शासकीय दवाइया भेजी गयी थी जिसका उपयोग डॉ अग्निहोत्री अपने निजी क्लिनिक में उपयोग कर शासन को चुना लगाने का कार्य कर रहे है7 पशु विभाग द्वारा इस मामले में संज्ञान लेकर पशु चिकित्सक द्वारा अग्निहोत्री के खिलाफ जांच कर कार्यवाही की जानी चाहिए।
मस्तुरी ब्लाक मुख्यालय में पदस्थ पशु चिकित्सक डॉ पी के अग्निहोत्री द्वारा राज्य शासन के नियमो के विपरीत बिना अनुमति बिलासपुर शहर में पेट केयर क्लिनिक के नाम से पशु क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है जबकि शासन द्वारा मुख्यालय में उपस्थित रहने के लिए प्रतिमाह पशु विभाग द्वारा 6 हजार की राशि एचआरए के रूप में पशु चिकित्सक डॉ पी के अग्निहोत्री को प्रदान किया जा रहा है7 सूत्रों की माने तो पशु विभाग द्वारा हाल ही में पशुओ की चिकित्सा के लिए दवाइयों की खेप मस्तुरी पशु चिकित्सा अस्पताल में भिजवाया गया था लेकिन डॉ पी के अग्निहोत्री द्वारा इन दवाइयों के खेप को मनमानी करते हुए अपने निजी अस्पताल में रखवा दिया था इन्ही दवाइयों से निजी रूप पशुओ का ईलाज किया जा रहा है व मोटी रकम की कमाई की जा रही है जबकि मस्तुरी शासकीय पशु चिकित्सालय में आने वाले पशु पालको को अस्पताल में दवाई उपलब्ध नहीं होने का झांसा देकर ईलाज के लिए प्रायवेट दवा दुकानों से दवाइया मंगाकर पशुओ का ईलाज किया जा रहा है7 पशु चिकित्सक डॉ पी के अग्निहोत्री के कई कारनामे है जिसमे अपने निजी क्लिनिक का काम देखने व पशु पालको से पशुओ का ईलाज शासकीय अस्पताल में ना कर उन्हें अपनी निजी अस्पताल में लाने की कोशिश कर मोटी रकम कमाने के लालच के चलते पिछले 6-7 वर्ष पूर्व डॉ अग्निहोत्री व डॉ चौरसिया पशु विभाग मस्तुरी कार्यालय जो जनपद सीईओ कार्यालय के पीछे स्थित था वहा पदस्थ थे जहा पशुओ के ईलाज के लिए सुबह से ही पशु पालको की लम्बी लाईन लगा करती थी जिसके बाद इन दोनों की डॉक्टरों द्वारा कोनी के हक्डी रोड बीआरसी के पास पशुओ के ईलाज के लिए अस्पताल खुलवाया गया जहा दिनभर में कोई भी पशु पालक अपने पशुओ का ईलाज कराने नहीं आते है जिससे इन्हें आराम रहता है व अपने निजी अस्पताल में पशुओ का ईलाज कर मोटी रकम की कमाई की जा रही है।