
राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन के तथाकथित भ्रष्टाचार के मामले में दिग्विजय सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हो गए हैं। उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर इस पूरे मामले पर अपनी राय रखी है। उन्होंने PM मोदी को 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' का वादा याद दिलाते हुए ट्वीट किया है। योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधते हुए उन्होंने लिखा है कि वह अपने मुख्यमंत्री रहते हुए भगवान राम के मंदिर निर्माण में इस प्रकार का भ्रष्टाचार तो न होने दें।
बता दें कि राम मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप रविवार को लगाए गए हैं। कुछ दस्तावेज के आधार पर कहा जा रहा है कि चंद मिनटों में ही 2 करोड़ की जमीन की कीमत बढ़कर 18 करोड़ की हो गयी और राम मंदिर ट्रस्ट ने इस जमीन को खरीदा है। यह दस्तावेज 18 मार्च को हुई जमीन की रजिस्ट्री से संबंधित बताए जा रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा- "राम मंदिर निर्माण में भी भ्रष्टाचार का अवसर ढूंढ लिया? VHP न पहले एकत्रित चंदे का हिसाब देती है न अब उनसे उम्मीद है। योगी जी आप तो अपने मुख्यमंत्री रहते हुए भगवान राम मंदिर निर्माण में इस प्रकार का भ्रष्टाचार तो न होने दें। यदि यह सही नहीं है तो स्पष्टीकरण दें। "
आगे दिग्विजय सिंह ने लिखा - "देखो ऐ दीवानों तुम ये काम न करो राम का नाम बदनाम न करो " "भूमि खरीद में 16 करोड़ का घोटाला है तो मंदिर निर्माण में जो हजारों करोड़ का चंदा उगाहा गया है, उसमें मौजूदा ट्रस्ट -जिसमें VHP के पदाधिकारी व मोदी जी द्वारा मनोनीत सदस्य हैं- वे कितना और भ्रष्टाचार करेंगे ? अंदाजा लगाएं।
उन्होंने PM मोदी से सवाल करते हुए पूछा, "यदि आपके द्वारा गठित न्यास पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो आप पर भी लगता है। आपने 2014 में वादा किया था 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' लेकिन वह भी एक और जुमला ही निकला। यदि यह आरोप सही हैं और आप ईमानदार हैं तो तत्काल मौजूदा न्यास को भांग कर पूरे प्रकरण को CBI व ED को सौंपे और पूर्व में गठित रामालय न्यास को भगवान राम मंदिर निर्माण का काम सौंपें। "
"मोदी जी आप से पूर्व में ही मैंने अनुरोध किया था कि नए ट्रस्ट के गठन के बजाय आप पूर्व से गठित रामालय ट्रस्ट को ही निर्माण का कार्य सौंप दें। हालांकि, आपने राजनीतिकरण कर पूरा न्यास VHP/RSS को सौंप दिया। यह वही संगठन है जिसने पहले मंदिर निर्माण में उगाहे 1400 करोड़ चंदे का हिसाब अभी तक नहीं दिया। निर्मोही अखाड़े के अनेक सदस्यों द्वारा कई बार मांगने पर भी हिसाब नहीं दिया गया। "