गुवाहाटी: पूर्वोत्तर भारत की नदियों की जैवविविधता को लेकर एक बड़ी खोज सामने आई है. ब्रह्मपुत्र नदी की गहराइयों में वैज्ञानिकों को मछली की एक नई प्रजाति मिली है, जिसे ‘पिथिया डिब्रूगढ़ेन्सिस’ (Pethia dibrugarhensis) नाम दिया गया है. इस मछली का नाम असम के डिब्रूगढ़ जिले की उस जगह के नाम पर रखा गया है, जहां इसे खोजा गया. यह खोज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CIFRI) की गुवाहाटी और बैरकपुर स्थित टीमों तथा मणिपुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है. यह सर्वे ब्रह्मपुत्र नदी में मीठे पानी के जीवों की खोज के तहत किया गया था. इस नई प्रजाति पर आधारित शोध हाल ही में Springer Nature के अंतरराष्ट्रीय जर्नल National Academy Science Letters में प्रकाशित हुआ है.
ब्रह्मपुत्र ने छिपा रखीं हैं कई प्रजातियां
ICAR-CIFRI के निदेशक और इस शोध के नेतृत्वकर्ता डॉ. बसंता कुमार दास ने बताया, ‘ब्रह्मपुत्र बेसिन में अब भी कई रहस्यमयी प्रजातियां मौजूद हैं. हर नई प्रजाति की खोज हमें इस क्षेत्र की जलीय पारिस्थितिकी को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है. पर्यावरणीय बदलावों से पहले इन प्रजातियों को दर्ज करना और संरक्षित करना बेहद ज़रूरी है.’
नई मछली Pethia dibrugarhensis साइप्रिनिडे (Cyprinidae) परिवार से संबंधित है और यह एक बार्ब प्रजाति है. यह मछली सामान्य रूप से मध्यम गति से बहने वाले पानी में पाई गई, जहां तलछट में कीचड़, रेत और पत्थर मौजूद थे. यह मछली अन्य स्थानीय मछलियों के साथ सह-अस्तित्व में रहती है.
इस मछली की पहचान उसके कुछ विशेष शारीरिक गुणों के आधार पर की गई है- जैसे अधूरी लेटरल लाइन (पार्श्व रेखा), पूंछ की जड़ (caudal peduncle) पर ऊपर और नीचे दोनों ओर फैला हुआ गहरा काला धब्बा, और शरीर पर ‘ह्यूमरल मार्क’ तथा मूंछों (barbels) का अभाव.